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तारा का फैसला

शांतनु, "आप मेरी बात सुनिए, उसके बाद गुस्सा हो जाइएगा"... तारा आवाज लगाते हुए बोली।

शांतनु पीछे मुड़ कर थोड़े गुस्से में बोला "इस बार नहीं, मुझे नहीं जाना आप ने वो सब क्यो किया? लेकिन मैं अपने बेटे के साथ गलत नहीं होने दुंगा"....।

तारा गुस्से में चिल्ला कर बोली "वो सिर्फ आपका नहीं मेरा भी बेटा है और मै उन दोनों के लिए ही ये सब कर रही हूँ, शिविका से बेहतर लड़की हमारे बेटे के लिए ओर कोई नहीं हो सकती हैं, प्लिस जैसा आप ने हमारा साथ उन लोगों के सामने दिया, वैसे ही आगे भी दे मै यकीन दिलाती हूँ कुछ गलत नहीं होगा"....।

शांतनु अपना गुस्सा कंट्रोल कर के प्यार से बोला "मै हमेशा आपके साथ हूँ, लेकिन आप ये भी जानती हैं, वो नहीं माने वाला है। उसके गुस्से से हम सब वाकिफ हैं"....।

तारा पप्पी चेहरा बनाकर उसका हाथ पकड़ बोली "वो मै देख लुंगी, आप मान जाइए और हमारी छोटी बहुँ को लाने की तैयारी करें, प्लिस शान हमारी बात मान जाइए"....।

शांतनु उसे अपनी बाहों के घेरे में कैद कर बोला "आपकी ये प्यारी हरकतें मुझे गुस्सा भी नहीं होने देती हैं, जब भी आपको ऐसे देखता हूँ, दौबारा प्यार हो जाता हैं"....।

तारा खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली "आप को बिल्कुल शर्म नहीं आती हैं, एक बहुँ घर मे हैं दुसरी आने वाली हैं और आपको अभी भी रोमांस सुझ रहा है, छोड़िए मुझे कोई देख लेगा"....।

शांतनु झुठा गुस्सा दिखाते हुए बोला "आपको सब की पड़ी है सिर्फ मुझे छोड़कर और सास बने के बाद आप बुढापा फिल करती होगी मैं तो अभी भी जवान हूँ".....इतना बोल वो गाना गुनगुनाते हैं "वो मेरी जोहरा जफी, तुझे मालुम नहीं तुम अभी तक हैं हसी और मै जवान तुझ पे कुर्बान मेरी जान मेरी जान......।

दोनों ड़ास कर रहे होते हैं कि पीछे से ताली बजने की आवाज आती हैं, जिसे सुन दोनों मुड़ कर देखते हैं।

तारा खुश होकर बोली "अक्षत, अमिता आप कल आने वाले थे ना, फिर ऐसे अचानक"....।

अक्षत, मित्तल परिवार का बड़ा बेटा, हाइट 5'9 इंच, गोरा रंग, मजाकिया अंदाज लेकिन काम करते वक्त बिल्कुल ही अलग इंसान बन जाता हैं, अपने पापा के साथ मिल कर मित्तल ग्रुप ऑफ कंपनी को नम्बर वन पर पहुंचाने से लेकर विदेश में अपनी ब्रांच बनाने के साथ उन्हें एक मुकाम पर पहुंचाया है।

अमिता मित्तल अक्षत मित्तल की बीवी और मित्तल परिवार की बड़ी बहुँ, दोनों मिल कर कंपनी संभालते हैं।

अक्षत और अमिता उनके गले लग कर बोले "मॉम आप दोनों की याद आ रही थी और काम भी खत्म हो गया था"...।

शांतनु थोडी नाराजगी से बोले "आप अपनी मॉम से ही मिलेंगे, मुझसे तो कोई प्यार ही नहीं करता हैं"...।

"डेड आप ऐसा ना बोलिए, मै करती हूँ आप से प्यार" अमिता तारा से अलग होकर उनके गले लग कर बोली।

सब सोफे पर बैठ जाते हैं, एक सर्वेंट पानी और चाय लेकर आते हैं।

अमिता चाय पीते हुए बोली "वैसे आप दोनों ड़ांस क्यो कर रहे थे?

अक्षत उसे देख मुस्कुराते हुए बोला अमु, "आप भुल रही हैं, डेड और मॉम को सिर्फ बहाना चाहिए रोमांस करने का"...।।

तारा शर्म और गुस्से से शांतनु को इशारे मे कुछ कहती है जिसे समझ शांतनु बात बदलतें हुए बोले "हम बाते बाद में करेंगे, आप दोनों जाकर थोड़ा आराम कर लों, वैसे भी आपकी मॉम आज जो करने वाली है उसे प्रलय आने वाला हैं आज"..।

दोनों confused होकर तारा को देखते हैं।

तारा उठ कर जाते हुए बोली "आप लोग जाकर आराम करें, सब के आने के बाद शाम को ड़िनर के बाद बात करते हैं"....।

शिविका कॉलेज से जल्दी जल्दी घर आती हैं लेकिन आज उसे सब बदले बदले नजर आ रहे थे।

माधुरी उसे आवाज लगा कर प्यार से बोली "शिविका यहाँ आओ मुझे और रंजित को कुछ बात करनी है"...।

शिविका एक पल के लिए तो हैरान हो जाती हैं, फिर उनके पास जाकर खडी हो जाती हैं।

रंजित "बेटा तुम ऐसे खड़ी क्यों हो? हमारे पास बैठों"...।

शिविका के बैठते ही माधुरी उसका हाथ पकड़ने के लिए बढ़ाती हैं जिसे देख शिविका ड़र से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं।

जब उसे दर्द का एहसास नहीं होता हैं तो वो धीरे से अपनी आँखे खोल देखती हैं।

माधुरी बड़ी सी स्माइल लिए उसे ही देख रही होती हैं, और प्यार से शिविका के चेहरे पर हाथ रख बोली "मैं आज बहुत खुश हूँ, जानती हो क्यो? क्योंकि 2 दिन मे तुम हमारी जिंदगी चली जाओगी मैंने तुम्हारी शादी मित्तल परिवार में तय कर दी है".....।

शिविका ड़रते हुए पुछती हैं "मेरी शादी, अभी तो मेरा एम बी ए भी खत्म नहीं हुआ हैं, प्लिस मम्मी मेरी पढाई पुरी हो जाने दे उसके बाद आप जब जिसे कहेंगी मैं शादी कर लुंगी"....।

माधुरी गुस्से से "तुम्हें हम पुछ नहीं रहे हैं, बता रहे हैं, कल वो लोग तुम्हें देखने आ रहे हैं और उसके अगले दिन शादी हैं, बिना नखरें किए तैयार हो जाना"....।

शिविका हिम्मत कर बोली "आप लोग अपनी खुद की बेटी के साथ ऐसे कैसे कर सकते हो? आज तक मैने सब चुपचाप सहा लेकिन शादी आप दोनों उन लोगों को जाने बिना ही मुझे उन लोगों के घर भेजना चाहते हैं, क्यो आप रोहित और मुझमें इतना फर्क करते हैं"....।

रंजित बोला "ऐसा कुछ नहीं..... वो इतना ही बोले थे कि माधुरी बीच में गुस्से में बोली "क्योंकि रोहित हम दोनों का अपना हैं और तुम हमें सड़क पर मिली थी, तुम पर तरस खा कर हम दोनों ने इतने साल पाला, खाना, कपड़े, घर सब कुछ दिया, अब और नहीं, बिना किसी सवाल के चुपचाप शादी करों और हम सब की जिंदगी से चली जाओ"....।

अपनी मम्मी की बात सुन शिविका को झटका लगता हैं, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिन लोगों के साथ वो इतने वक्त से रह रही हैं, जिन को अपना मान सब सहती आ रही हैं, असल में वो लोगों उसके अपने हैं ही नहीं, उन्होंने तो उस पर एहसान किया था"..... शिविका अपनी आँखों से बहते पानी को साफ करने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली "अ आ आप झू झुठ बोल रही हैं ना, मैं शादी करने के लिए हाँ कर दु इसलिए ये सब कर रही हैं ना, मैं आप दोनों की बेटी ही हूँ ना"..। वो माधुरी का हाथ पकड़ उम्मीद भरी नजरों से देख कहती हैं"।

माधुरी उसका हाथ झटक उसे दुर कर बोली "यही सच है अब जाओ और खाना बनाओ और ये ड्रामा बंद  करों"....।

शिविका हिम्मत कर बोलती हैं "अगर मैं आपकी बेटी नहीं हूँतो फिर आप मेरी जिंदगी का इतनाबड़ा फैसला कैसे ले सकते हैं.....। वो आगे कुछ बोलती उसे पहले एक जोरदार थप्पड़ माधुरी उसके गाल पर मारती है।

शिविका को उस थप्पड़ से कोई फर्क नहीं पड़ता हैं, वो अपना बैग उठाकर दोनों के सामने खड़ी होकर बोली "आप दोनों चाहते हैं कि मैं उस मित्तल परिवार के लडके से शादी कर लु तो मेरी कुछ शर्त है। अगर आप उन्हें मानने के लिए तैयार हैं तो मैं उन लोगों से मिलने के बारे में सोचुंगी".....।

रेयांश सीड़ियों से ऊपर अपने रुम मे जा रहा होता हैं कि अपनी मॉम की आवाज सुन रुक जाता हैं।

अंश, "मुझे बहुत important announcement करनी है, फ्रेश होकर जल्दी आइए" तारा बोली।

वो हाँ मैं सर हिला कर रुम मे चला जाता हैं।

कुछ वक्त बाद सब हॉल में बैठे होते हैं।

तारा बात कहने के लिए एक लम्बी गहरी सांस लेकर कहती हैं "मैने एक फैसला लिया है और आप सब को बिना कोई सवाल के मानना है"...।

रेयांश उनको साइड़ से पकड़ मजाक मैं बोला "मॉम वैसे भी आज तक डेड की नहीं चली तो हम क्या बोल सकते हैं? कितना भी discussion कर ले लेकिन चलेंगी तो आप की ही, आप सिर्फ हुक्म कीजिए, हम सब आपके गुलाम बन उसे मान लेंगे"....।

अक्षत उसका साथ देते हुए बोला "हाँ मॉम आप वैसे भी हमेशा कुछ ना कुछ कर के अपनी बात मानने के लिए मजबूर कर ही लेती हैं"....।

शांतनु "आप दोनों मेरी बीवी को तंग करना बंद करें"....।

तारा अपने दोनों बेटों को घूर कर देखती हैं और बोली "मैने हमारे परिवार की छोटी बहुँ और रेयांश की बीवी ढुंढ ली है और 2 दिन मे शादी हैं".....।

शांतनु को छोड़कर सब हैरानी से उन्हें देखते हैं और रेयांश गुस्से में बोला "मॉम प्लिस दौबारा ऐसा मजाक नहीं"..... तारा उसकी बात बीच में काटती है और बोली "मै कोई मजाक नहीं कर रही हूँ, कल हम सब उनके घर जा रहे हैं, आप दोनों एक बार मिल ले और हम शादी की तैयारियों की बात कर लेंगे"....।

रेयांश गुस्से में उठ कर जाते हुए बोला "मै ऐसे किसी से भी शादी नहीं करुंगा, आप उन लोगों को मना कर दे और मेरा फैसला कोई नहीं बदल सकता है, आप भी नहीं, अब ये बात यहीं खत्म होती हैं, मॉम प्लिस आगे से ऐसा कुछ ना करें".... इतना बोल वो जाने लगता हैं लेकिन तारा की बात सुन वो मुड़ कर देखता है तो उसकी आँखें गुस्से और बेबसी से लाल होती हैं"....।

क्या होगी शिविका की शर्तें?

तारा ने ऐसा क्या कहाँ जिसे सुन रेयांश रुक गया?

शिविका और रेयांश क्या शादी के बंधन में बंधने को तैयार होंगे?

कौन थी मासा?

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