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रेयांश का खतरनाक औरा

रेयांश को जाता देख तारा बोली "अगर आप ने शादी से इंकार किया तो मैं अभी अपनी जान दे दुंगी, अब फैसला आपका हैं, जिद्द और माँ किसी चुनेंगे"

रेयांश के जाते कदम अपनी मॉम की बात सुन थम जाते हैं, वो मुड़कर देखता है तो सामने हाथ में चाकु लिए तारा खड़ी उसे ही देख रही होती हैं।

"मॉम ये सही तरिका नहीं हैं, अपनी बात मनवाने का, प्लिस आपको चोट लग जाएगी, चाकु को हटाए"...। रेयांश गुस्से और रिक्वेस्ट के मिले जुले भाव से बोला।

शांतनु परेशानी से बोला "आप ये क्या कर रही हैं? चाकु मुझे दे"...।

तारा चाकु को अपने हाथ के पास करते हुए बोली "मुझे किसी की बात नहीं सुनना हैं, रेयांश आप मुझे अपना फैसला बताएं, माँ या जिद्द, किसी चुन रहे हैं आप"..... इतना कहते ही उनके मुँह से दर्द में आहहह निकल जाती हैं।

अपनी मॉम को दर्द में देख रेयांश अपनी आँखें बंद कर अपने हाथों की मुठ्ठी बना कर बोला "मै शादी करने के लिए तैयार हूँ, आप खुद को चोट पहुंचाना बंद करें"....।

तारा जल्दी से चाकु फैक उसके गले लग खुशी से बोली "मैं जानती थी तुम मेरी बात मान जाओगे, चाहे आज तुम ने मजबूर होकर हाँ कहाँ है लेकिन एक दिन ऐसा आएगा, जब तुम खुद मुझे थैंक यू कहोगे".....।

वो अपनी मॉम को खुद से अलग कर उनका हाथ देख थोड़ा गुस्से में बोला "आगे से ऐसा कुछ करने की सोचना भी नहीं, आप के लिए मैं अपनी जिद्द क्या जान भी दे सकता हूँ?, कितना खून निकल रहा हैं, भाई आट डॉक्टर को कॉल करिए मे दवाई लगाता हूँ"....।

शांतनु चिंता और गुस्से मे "ये सब आप ने ठीक नहीं किया, आपको ज्यादा लग जाती तो, आप दोनों माँ बेटे की जिद्द करने की आदत किसी दिन हम सब को तकलीफ देंगी"....।

तारा मासूम सा चेहरा बना कर उसे बीच में रोक कर बोली "लेकिन मुझे तो चोट लगी ही नहीं हैं, ये खून नहीं कैचअप हैं, शान"....।

उनकी बात सुन सब उन्हें अपनी आँखें छोटी कर देखने लगते हैं।

वो बात बदलने के लिए बोली "आप सब मुझे घूरना बंद करें और जल्दी से काम पर लग जाइए, इस घर की छोटी बहुँ आने वाली हैं, उनका ग्रेंंड वेलकम होना चाहिए"....।

अमिता नाराजगी से तारा के गले लगकर बोली "मॉम प्लिस अगली बार आप मजाक में भी ऐसा करने की मत सोचना, वरना मैं आप से बात नहीं करुंगी"....।

तारा सब से कान पकड़ माफी मांगते हुए बोली "अच्छा हमें माफ कर दे मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करुंगी। अब हम सब हमारे अंश की दुल्हन को लाने की तैयारी करें".....।

रेयांश उन्हें बीच में रोक कर बोला "मॉम मैं शादी करने के लिए तैयार हूँ लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं और वो आप सब को माननी होगी"...।।

तारा और शांतनु एक साथ "बोलों क्या चाहते हो? तुम"....।

रेयांश "मै चाहता हूँ शादी बहुत ही साधारण तरिके से हो, जिसमें सिर्फ घर के लोग शामिल हो और सबसे जरुरी मेरी पढ़ाई खत्म होने तक इस शादी के बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए".....।

शांतनु "ये सब तुम क्या कह रहे हो? शादी होने वाली हैं कोई खेल नहीं जो तुम इस तरह शर्ते रख रहे हो"

तारा उनको इशारे से मना कर के बोली "मुझे मंजूर हैं, लेकिन पढ़ाई खत्म होने के बाद तुम हमें दुनिया को बताने से नहीं रोकोगे"....।

रेयांश सर हिला कर हाँ मै जवाब देता है और मन में बोला "सॉरी मॉम लेकिन आपके लिए मैं ये शादी करने को तैयार हूँ, लेकिन उस लड़की को इतना मजबूर कर दुंगा की वो खुद मुझे छोड़ कर चली जाएगी। उसके बाद वहीं होंगा जो मैं चाहता हूँ। वो भी बाकी लड़कियों की तरह सिर्फ मित्तल नाम की वजह से शादी कर रही हैं"....।

ऐसे ही कुछ बाते होती हैं और सब खाना खाने के बाद अपने अपने कमरें मे चले जाते हैं।

शिविका अपने रुम मे घुटनों के बीच अपना चेहरा छुपा कर रो रही होती हैं कि उसका फोन बजता हैं।

बेस्टी नाम फ्लैश होते देख वो जल्दी से अपने आंसू साफ कर फोन उठाती हैं।

मान्या के हेलो बोलते ही एक बार फिर शिविका की आँखों से पानी आने लगता हैं, वो भरे गले से धीरे से बोली "मानु तुम सही थी, मैं अपने मम्मी पापा की बेटी नहीं हूँ".... इतना बोल वो सिसक सिसक कर रोने लगती हैं।

मान्या परेशान होकर बोली "शिवि प्लिस तु रोना बंद कर और मुझे पुरी बात बता, हम दोनों मिल कर कुछ करेंगे"....।

शिविका रोते हुए कॉलेज से आने के बाद जो कुछ भी हुआ वो सब कुछ उसे बता देती हैं। जिसे सुन कर उसे शिविका के लिए भुरा लगता हैं लेकिन शादी की बात सुन मान्या को बहुत गुस्सा आता हैं।

मान्या गुस्से में बोली "वो लोग ऐसे कैसे तुम्हारी शादी किसी से भी तय कर सकते हैं, मन तो कर रहा है तेरी उस चुड़ैल मम्मी को जंगल में जानवरों के बीच छोड़ आऊ, नहीं राजस्थान के रेगिस्तान में जहाँ दुर दुर कोई परिंदा भी ना आता हो या फिर अंधेरे कमरे में ढेर सारे चुहों के बीच छोड़ दु, वो लोग समझते क्या है? खुद को, और तुम उनकी बेटी नहीं हो वो सब ठीक है, लेकिन मै उम्मीद करती हूँ कि तुमने शादी के लिए हाँ नहीं कही होगी, देख अगर सोचा भी तो मै तेरी जान ले लुंगी"....।

शिविका बहाना बनाकर बोली "सुन हम कल बात करते है, अभी मुझे नींद आ रही हैं, बाय"..... इतना बोल जल्दी से फोन कट कर देती हैं।

फोन को साइड़ मे रख खुद से ही बात करते हुए बोली "सॉरी यार लेकिन एक आखरी बार ही सही लेकिन मैं उनकी बात मान ये शादी करुंगी, चाहे उनके लिए मै बेटी नहीं हूँ फिर भी उनकी खुशी के लिए बेटी का फर्ज निभा कर शादी करुंगी".....।

अगले दिन

शिविका कॉलेज के लिए लेट हो जाती हैं और वो भागते हुए आ रही थी इसी बीच वो किसी से टकरा जाती हैं जिसकी वजह से उसकी किताबें और बैग नीचे गिर जाते हैं।

वो अपना चेहरा उठा कर जैसे ही देखती हैं, उसका पारा चढ़ जाता हैं, वो गुस्से में चिल्ला कर बोली "ये जो बड़ी बड़ी आँखें भगवान ने दी है उनका इस्तेमाल कर लिया करों, अंधों की तरह चले आ रहे हो, वैसे तुम जैसे लोगों से उम्मीद ही क्या कि जा सकती हैं?"....।

"अपनी जुबान संभाल कर बात करों, तुम जानती नहीं हो मैं कौन हूँ? और यहां खड़े खड़े तुम्हारे साथ क्या कर सकता हूँ?"... सामने खड़ा रेयांश गुस्से में बोला।

शिविका उसे उपर से नीचे तक अजीब तरह से देखते हुए बोली "शकल से तो इंसान के बच्चे लग रहे हो, लेकिन ये जो चेहरे पर घमंड और अकड़ से पक्का पता चल रहा है कि किसी रईस बाप की बिगड़ी औलाद हो, जो अपने बाप के पैसों के दम पर लोगों को ड़राता हैं"....।

रेयांश गुस्से में अपने दांत भिजते हुए आगे बढ़ता है ये देख शिविका ड़र से कस कर अपनी आँखे बंद कर लेती है। वो पीछे होने के लिए अपने कदम बढ़ाती हैं लेकिन सीड़ियों की वजह से रुक जाती हैं।

रेयांश उसके एक दम करीब आकर बोला "मैं कौन हूँ और क्या कर सकता हूँ? ये बहुत जल्द पता चलेगा तुम्हें, सच जानने के बाद ये तुम्हारी कैची जैसी जबान कितनी चलती हैं मै भी देखता हूँ, आज जो किया है उसकी सजा तो मिलेगी तुम्हें लेकिन उसे पहले थोडा डेमो तो बनता हैं, इतना बोल वो नाटक करते हुए बोला "तुम ऐसे लड़की होने का फायदा नहीं उठा सकती हो, मै तुम्हारी शिकायत कर सकता हूँ"....।

शिविका अपनी आँखे खोल उसे कन्फ्यूज होकर देखती हैं।

रेयांश बोला "मै माफी चाहता हूँ लेकिन कॉलेज से ऐसे क्लास मिस करना और अपने बॉयफ्रेंड से मिलने के लिए पढ़ाई छोड़ना अच्छी बात नहीं हैं"....।

शिविका गुस्से में बोली "तुम ये क्या बकवास.... वो इतना ही बोल पाई थी कि पीछे से आवाज आती हैं "मिस आप ये अपने सीनियर से किस तरह से बात कर रही हैं और आपको पढ़ना नहीं हैं तो ठीक है, आज से 10 दिन के लिए आपको रेस्टीकेट किया जाता हैं, आप जा सकती हैं"...।

शिविका हाथ जोड़ अपनी बात समझाने के लिए जैसे ही कुछ बोलने वाली होती हैं प्रिंसिपल उसे हाथ दिखा कर रोक वहां से चले जाते हैं।

रेयांश मुस्कुराकर सीटी बजाते हुए वहां से चला जाता हैं।

शिविका उसे गुस्से में देख मन में "नफरत हैं मुझे तुम जैसे चालबाज और अमीर ज्यादों से, I hate you तुम से इतनी नफरत करती हूँ, जो कभी किसी से ना की हो, आज जो किया उसके लिए मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करुंगी"....।

शिविका पैर पटक कर वहाँ से चली जाती हैं।

मान्या शिविका के ना आने से परेशान होकर उसे फोन करती हैं लेकिन फोन बंद आने के कारण वो भी घर चली जाती हैं।

एक बंद अंधेरे कमरे में एक लड़की अधमरी हालत में कुर्सी पर बंधी थी, उसके शरीर पर जगह जगह चोट के निशान होते हैं, वो बेहोशी की हालत में "प पानी बहुत प्यास लगी है मुझे पानी चाहिए छोड़ो मुझे बहुत दर्द हो रहा है"

पास में खड़ा बाॅर्डीगार्ड सर झुकाए खड़ा होता है, बाहर गाड़ियों की आवाज सुन वो जल्दी से भाग कर गेट खोलता है।

वो आदमी झुककर उसे विश करता है।

एक लम्बा चौड़ा आदमी लम्बे लम्बे कदमों से अंदर आता है।

एक आदमी कमरे की लाइट ऑन करता है।

"2 मिनिट में इसे पुरी तरह होश में लाओ" इतना सुनते ही एक आदमी बर्फ का ठंडा पानी लाकर उस लड़की के ऊपर डालता है।

ठंड का एहसास होते ही वो लड़की घबरा कर अपनी आंखें खोल देती है, उसी इंसान को अपने सामने बैठा देख वो ड़र से कांपने लगती है, वो अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोलने की कोशिश करते हुए "त तु तुम कौन हो? और मुझे इस तरह क्यों बांध रखा हैं?, मैं तो तुम्हें जानती भी नहीं हूं, प्लिस मुझे जाने दो".....।

वो लड़का बिना किसी भाव के बोला "मुझे नहीं लेकिन रोनी वर्मा को अच्छे से जानती होगी, उसे कैसे भुल सकती हो"....।

ये नाम सुनते ही वो लड़की डर से थर थर कांपने लगती है "त तुम कौन हो और उसे कैसे जानते हो, उसका तो कोई नहीं था ना"।

वो लड़का गुस्से में "रेयांश मित्तल, वो मेरा असिस्टेंट और दोस्त हैं। जिसने तेरी वजह से खुदकुशी करने की कोशिश और अभी हॉस्पिटल में मौत से लड़ रहा है, और अब मैं तुम्हें मौत दुंगा लेकिन आसान नहीं" इतना बोलते ही वो अपने आदमी को इशारा करता है।

ये वही लड़की है जिसे कल रेयांश और उसके आदमी सड़क से जबरदस्ती लेकर आएं थे।

अपने बाॅस का इशारा समझ वो बाॅड़ीगार्ड एक इंजेक्शन बेरहमी से उसे लगा देता है जिसे उसकी चिख निकल जाती हैं।

रेयांश "जब तक इसे मौत ना आए, इसका हर पल तड़प और दर्द से भरा हो, इसकी मौत इतनी भयानक हो कि दुबारा कोई लड़की अपने फ़ायदे के लिए किसी का इस्तेमाल करने के बारे मे सोच ना सके"....। रेयांश को और उसे जुड़े लोगों को चोट देना मतलब खुद की दर्दनाक मौत अपनी आंखों से देखना "ये सब बोलते वक्त वो इतना खतरनाक लग रहा था कि कोई भी उसे इस तरह से देख ले तो डर से मर जाएं"...।

वो अपने आदमियों के साथ वहां से निकल जाता है।

अंदर से उस लड़की की दर्द से चीखें बाहर आ रही थी लेकिन वहां खड़े आदमी उसे नजरंदाज कर बीजी हो जाते हैं।

कौन थी मासा और प्रिंसेस और क्यों शिविका उसे अपने सपने में देखती थी?

रेयांश के लिए अपने दिल में पनपती नफरत किस ओर ले जाएगी शिविका को।

क्या शिविका कभी अपने सपनों के राज के बारे में जान पाएगी?

क्या शिविका और रेयांश शादी के बंधन में बंधने को तैयार होंगे?

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