शर्तों वाली शादी
4 बजे शिविका घर पर आती हैं। उसे आते देख माधुरी गुस्से मे ताना मारते हुए बोली "मिल आई अपने यार से, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं है तुम्हें कल शादी करनी ही होगी, अब जाओ और कुछ ढ़ंग का पहन कर थोडा अच्छे से तैयार हो जाओ, वो लोग आते ही होंगे और उनके सामने अपना मुह खोलने की जरूरत नहीं हैं समझी"...।
शिविका बिना किसी भाव के माधुरी की आंँखों मे देखकर कहती हैं "मैं शादी के लिए तैयार हूँ, लेकिन मेरी कुछ शर्तें है, अगर आप मानने के लिए तैयार होंगी तब ही शादी होगी, वरना ये शादी तो होने से रही, फिर तुफान आएं या आसमान गिर जाए मुझे उसे दो कौड़ी का भी फर्क नहीं पड़ता हैं"....।
रंजित माधुरी को शांत रहने का इशारा कर शिविका को देख बोला "बताओ तुम्हारी क्या शर्तें है?
शिविका सोफे पर बैठ कहतीहैं "ठीक है तो सुनिए......
पहली शर्त मैं मेरी पढ़ाई पुरी करना चाहती हूँ।
दुसरी शर्त जब तक मेरी पढाई खत्म नहीं हो जाती हैं, हमारी शादी के बारे में किसी को पता नही चलना चाहिए।
तीसरी और सबसे जरूरी शर्त अब तक जिन लोगों को मैं अपना मान रिश्ता निभा रही थी, शादी की आखरी रस्म के साथ मेरा उनसे हर रिश्ते टुट जाएंगे, यानी की आप लोग। मैं जानती हूँ इस शादी के जरिए आप लोग मित्तल परिवार से पैसे लेने और फायदा उठाने की सोच रहे होंगे लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं होने दुंगी"....। बस यही है आप लोग अच्छे से सोच ले,
रंजित गुस्से में चिल्ला कर "ये सब हम नहीं मानने वाले है, तुम भुल रही हो इतने साल हमने तुम्हें अपनी बेटी की तरह पाल हैं, उसके बदले तुम्हें मित्तल खानदान मे शादी करनी होगी"...।
शिविका तंज कसते हुए बोली " बेटी बना कर बहुत अच्छा मजाक हैं, मुझे आप लोगों ने इंसान भी समझा हैं, हाँ आप लोगों ने मुझे पाल इतने साल अपने घर में रखा खाना, कपड़े दिए लेकिन ये सब फ्री में नहीं मिला मुझे, इन सब के बदले बचपन से ही मैंने नौकरों की तरह घर का हर एक काम किया, आप लोगों की मार सही, ताने सुने, ना जाने क्या क्या नहीं किया? आप लोगों ने। अब तक मैं ये सब सहती आई क्योंकि मुझे सच नहीं पता था लेकिन ये शादी कर के मैं आप लोगों की कटपुतली नहीं बना चाहती हूँ"....। और एक बात अच्छे से दिमाग मे बिठा ले मेरे जीते जी तो बिना शर्तों की ये शादी होने से रही एक काम करना मरने के बाद मेरी लाश से करवा देना" इतना कहते ही वो टेबल से चाकू उठा कर हाथ पर रख कट करने ही वाली होती हैं कि माधुरी अपने दांत भिजते हुए बोली "हमें तुम्हारी सभी शर्ते मंजुर है, अब जाओ और चुप चाप तैयार होकर आओ".....।
शिविका बिना कुछ बोले चुपचाप अपने रुम मे चली जाती हैं। आंधे घंटे बाद मित्तल परिवार आते हैं।
सब के बैठने के बाद माधुरी अपने बेटे से प्यार से बोलती हैं "रोहित जाकर अपनी दीदी को ले आओ"....।
रोहित रुम मे जाकर बेरुखी से बोला "तुम्हें नीचे भुला रहे है, अब जल्दी से चलों मेरे पास तेरे लिए फालतू टाइम नहीं है"....।
दोनों नीचे आते हैं सब उसे देख देखते ही रह जाते है वही गेट से अंदर आते रेयांश की नजर जैसे ही उस पर जाती हैं, एक पल के लिए वो उसकी सादगी मे खो जाता हैं लेकिन अगले ही पल होश मे आता है और गुस्से से उसकी आँखें लाल हो जाती हैं, वो अपने हाथों की मुठ्ठी कस लेता है जिसे उसके हाथों की नशे दिखने लगती हैं, वो गुस्से में जाकर सब के साथ सोफे पर बैठ जाता हैं।
मान्या बेबी पिंक घेरदार सुट, दुपट्टा, छोटे छोटे झुमके, बड़ी बड़ी कथई आँखों में काजल, होठों पर हल्के रंग की लिपस्टिक, हाथ में पुराने जमाने की घड़ी, खुले लम्बे काले घंने बाल, बिना साज श्रृंगार भी वो बहुत खुबसूरत लग रही थी, वो आकर तारा और शांतनु के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं।
तारा उसे अपने पास बैठने का इशारा कर के बोली "बहुत सुंदर हो तुम, चलिए मैं आपको आपके नये परिवार से मिलवाती हूँ"..."मै तारा मित्तल और ये शांतनु मित्तल मेरे पति, अक्षत और अमिता मेरा बड़ा बेटा और बहुँ और ये हैं मेरा छोटा बेटा और आपके होने वाले पति रेयांश"... शिविका जैसे ही उसे देखती हैं हैरानी और गुस्से में उसकी आँखें फेल जाती हैं, उसका मन यहाँ से भागने का कर रहा होता हैं लेकिन वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी।
शिविका मन में भगवान से शिकायत करते हुए बोली "शिव जी आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते हैं, इस जल्लाद, अकड़ की दुकान, गुस्सैल, बत्तमीज, चमगादड़ से शादी बिल्कुल नहीं, आप मेरे लिए कोई भी भेज सकते थे फिर ये मोनस्टर ही क्यों? प्लिस कुछ कीजिये मै ये शादी नहीं कर सकती हूँ".....। वो ये सब सोच ही रही होती हैं कि माधुरी की आवाज सुन अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आती हैं। शिविका बेटा "सब को चाय नाश्ता दो"....।
अमिता बोली "आंटी उसकी जरूरत नहीं है, हम सब शिविका से मिलने आए हैं".....।
कुछ देर सब के साथ बात करने के बाद अमिता बोली "मुझे लगता हैं दोनों को अकेले में कुछ बातें करने के लिए छोड़ना चाहिए, आखिर जिंदगी तो इन्हें ही साथ बितानी है"....।
शांतनु हामी भरते हुए बोले "आप सही कह रही है बच्चा"...।
माधुरी आप लोग सही कह रहे हैं "शिविका जाकर रेयांश बेटा को अपना कमरा दिखाओ"....।
शिविका बेमन से उठाकर जाने लगती हैं और उसके साथ रेयांश भी जाता हैं, रुम मे जाते ही वो शिविका को पकड़ दिवार से लगाकर गुस्से में बोला "चुपचाप नीचे जाकर इस शादी के लिए मना कर देना, जितने पैसे चाहिए मुझसे ले सकती हो, वैसे भी तुम और तुम्हारा परिवार ये सब पैसों के लिए ही कर रहा है, तुम जैसी लड़कियों को अच्छे से जानता हूँ मैं, अपने सपने पुरे करने के लिए अमीर परिवार को मोहरा बनाकर अपने सपने और ख्याइशे पुरी करती हो, वैसे भी मै किसी और को पसंद करता हूँ"......।
शिविका उसकी पकड़ से छुटने की कोशिश करते हुए गुस्से और झूठी मुस्कान के साथ बोली "तुम जाकर मना कर दो और मै कैसी हूँ, मुझे तुम से certificate लेने की जरूरत नहीं हैं। मै अपने मम्मी पापा के लिए ये शादी करुंगी और तुम्हें नहीं करनी है तो खुद मनाकर दो, बता दो अपने परिवार को अपनी उस मेकअप की दुकान और अकल से पैदल गर्लफेंड के बारे में"..... ये सब बोलते वक्त शिविका अजीब अजीब चेहरे बना रही थी, जिसे देख रेयांश अपनी आँखें छोटी कर देखता है।
रेयांश गुस्से और चिड़ मे अपनी पकड़ उसके हाथों पर कसते हुए बोला "बहुत शौक है ना तुम्हें शादी का, ठीक है फिर मै भी शादी के लिए तैयार हूँ, welcome to hell future Mrs. Mittal. इतना बोल झटके से उसे छोड़ रुम से बाहर चला जाता हैं।
दर्द की वजह से शिविका की आँखों में आंसू आ जाते हैं, वो जल्दी से उन्हें साफ कर बाहर सब के पास आ जाती हैं।
तारा शिविका को देख बोली "माधुरी जी, दोनों बच्चे आ गए हैं तो हम तिलक की रस्म कर लेते हैं और पंडित जी से बात हो गई हैं मेरी, कल सुबह हम हल्दी, मेहंदी की रस्म करने के बाद शाम को मुहूर्त पर शादी"...।।
रंजित खुश होकर अपनी बीवी को देखता है जो उसे आँखों के इशारे से शांत रहने का बोलती हैं।
शिविका और रेयांश को एक साथ बिठाकर माधुरी और रंजित पहले रेयांश का तिलक करते हैं और उसको एक लिफाफा देते हैं।
उसके बाद तारा और शांतनु मिलकर शिविका को तिलक करते हैं और बहुत सारे तोहफे देते हैं। तारा उसे अपने हाथों से कंगन निकाल पहनाते हुए कहती हैं "ये रेयांश की दादी के कंगन है उनका आशीर्वाद और प्यार है, आप इन्हें संभाल कर रखना"....।
शिविका सर हिलाकर उनका आशीर्वाद लेती हैं। शिविका और रेयांश एक दुसरे को नफरत भरी निगाह डालते हैं और सब के पैर छूते हैं।
तारा शिविका के सर पर हाथ रख प्यार से बोली " मुझसे तो कल का भी इंतजार नही हो रहा है, मैंने इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार किया हैं, अभी हम सब जा रहे हैं लेकिन कल पुरे रिती रिवाज से पुरे हक से आपको अपने रेयांश की पत्नी बना कर अपने घर ले जाएंगे"।
मान्या कुछ नहीं कहती हैं बस हल्की सी स्माइल कर मन में बोलती है "पत्नी वो भी इस जल्लाद की, ये सब लोग इतने अच्छे हैं फिर ये इंसान ऐसा कैसे, पता नहीं कैसे कटेगी" वो ये सब सोच ही रही होती हैं, शांतनु की आवाज सुन होश में आती हैं।
मि शर्मा, "आप कहाँ परेशान होंगे, आप सब लोग सुबह मित्तल मेंसन आ जाइएंगा, वहीं एक साथ सारी रस्में कर लेंगे"....।
रंजित हाथ जोड़ "जैसा आप लोग कहें, हम सब सुबह आ जाएंगे"....।
तारा हाथ जोड़ बोली " ठीक हैं फिर हम लोग भी चलते है। शादी चाहे दो परिवारों के बीच और साधारण तरीके से हो रही है लेकिन तैयारियां तो करनी होगी"...।
सब लोगों चले जाते हैं और शादी की तैयारी में व्यस्त हो जाते हैं।
रेयांश के लिए अपने दिल में पनपती नफरत किस ओर ले जाएगी शिविका को।
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