लेखनी
हा लिख देती हूँ उसे में गीत गज़लों ,छंद ,कविताओं में,
उसकी याद को पिरो देती हूँ
शब्दों की माला में..
सच कहूँ...
मेरी लेखनी का हकदार वो ही है
जो जज्बात उससे कह नही पाई उनको उकेर दिए पन्ने में..
जज्बातों के आवेग एहसासों का कर समावेश
शब्दों की तुरपाई बुन उसकी याद को तहकर रख दिया आलमारी में...
जब भी उसका सानिध्य चाहती हूं सुकून से पढ़ती हूं
चाँदनी रात में...
अंत में अपना नाम नही लिखती लिख देती हूँ उसका नाम बड़ी खुशबू आती है
डायरी में...
हा लिख देती हूँ उसे में गीत गज़लों ,छंद ,कविताओं में,
उसकी याद को पिरो देती हूँ
शब्दों की माला में..।।
❤️❤️❤️
Gunjan Kamal
10-Apr-2024 02:14 PM
👏🏻👌🏻
Reply
Varsha_Upadhyay
29-Mar-2024 11:43 PM
Nice
Reply
Abhinav ji
29-Mar-2024 08:12 AM
Very nice👍
Reply