ग़ज़ल
🌹🌹🌹🌹ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹
क्या ह़ाले दिल सुनाऊं तबीअ़त उदास है।
कैसे हंसूं-हंसाऊं तबीअ़त उदास है।
मअ़लूम है तुम्हें तो मिरी दास्ताने ग़म।
फिर तुमसे क्या छुपाऊं तबीअ़त उदास है।
सब ये ही पूछते हैं के क्या हो गया तुम्हें।
किस-किस को मैं बताऊं तबीअ़त उदास है।
साक़ी भी है,सुराही भी,साग़र भी है मगर।
क्या बज़्मे मय सजाऊं तबीअ़त उदास है।
माह़ौल खुशगवार है मौसम भी है ह़सीन।
पर कैसे मुस्कुराऊं तबीअ़त उदास है।
रहने दो मुझको क़ैद मिरे घर में दोस्तो।
किस से मिलूं-मिलाऊं तबीअ़त उदास है।
तारीकियों ने घेर रखा है मुझे फ़राज़।
क्योंकर न दिल जलाऊं तबीअ़त उदास है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद उ०प्र०।
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Gunjan Kamal
30-Mar-2024 10:07 PM
बहुत खूब
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Babita patel
30-Mar-2024 07:23 AM
Amazing
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Varsha_Upadhyay
29-Mar-2024 11:27 PM
Nice
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