Sarfaraz

Add To collaction

ग़ज़ल

🌹🌹🌹🌹*  *  ग़ज़ल  *  * 🌹🌹🌹🌹

गुल   प्यार  के  हर  क़ल्ब  में  महका  न सकोगे।
पत्थर   को   किसी  तौर  भी  पिघला  न सकोगे।

हम   छोड़   दें   गर   तीर   निगाहों   के  चलाना।
हर   बात   पे   फिर   आप   यूं  इतरा  न सकोगे।

आता   है   मुझे   हंसने - हंसाने   का   हुनर  भी।
बैठोगे      मिरे      पास    तो   मुर्झा   न  सकोगे।

यूं  रूठ  के  जाते  हो  तो  यह  बात भी सुन लो।
जाना   है   तुम्हें   जाओ   मगर   जा  न  सकोगे।

ज़ालिम के तरफ़दार हो,तुम ख़ुद भी हो ज़ालिम।
दामन   से   कभी   दाग़  यह  धुलवा  न  सकोगे।

हर   बात  को  सुलझाना  है  आसान  मगर तुम।
क़िस्मत   की  पहेली  कभी  सुलझा  न  सकोगे।

दुनिया में फ़राज़ आज भी शफ़्क़त सा नहीं कुछ।
लेकिन  ये  हर  इक शख़्स को समझा न सकोगे।

सरफ़राज़  हुसैन 'फ़राज़' पीपलसाना मुरादाबाद।

🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹

   9
3 Comments

Gunjan Kamal

30-Mar-2024 10:10 PM

शानदार

Reply

Varsha_Upadhyay

29-Mar-2024 11:28 PM

Nice

Reply

Babita patel

29-Mar-2024 04:16 PM

Beautiful

Reply