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ये उन दिनों की बात है लेखनी प्रतियोगिता -29-Mar-2024

शीर्षक:-ये उन दिनों की बात  है

        "पंकज मैं मम्मी जी को इस हालत में छोड़कर  नहीं जा सकती हूँ। मुझे पापा जी को एक दिन के लिए  छोड़कर  जाने का आजतक अफसोस  है ।  मैं लौटकर उनसे मिल ही नहीं पाई  थी।  मुझसे वह घटना आजतक भुलाई नहीं जाती है।अब ऐसी भूल नहीं करूँगी। मैं मम्मी जी को अकेला छोड़कर नहीं जासकती हूँ।"सुलक्षणा अपने छोटे  भाई  को समझाते हुए  बोली।

     "  बहिना केवल दो दिन की ही तो बात  है उसके लिए  तुम इतनी परेशान  हो रही हो। ज्यादा ही परेशानी है तो उनको भी साथ  लेचलो।" पंकज  ने समझाते हुए  कहा।

     "नहीं पंकज अब उनके शरीर के साथ  इतनी उथल पुथल करना ठीक  नहीं है , वैसे भी वह आजकल  ह्वील चेयर पर हैं।"

             सरोज ने जब अपनी बहू की  यह सब बातें बाहर बरामदे में ह्वील चेयर पर बैठे हुए  सुनी। यह वार्तालाप  सुनकर  सरोज की आँखौ से आँसुऔ  की धारा बहने लगीl 

     सुलक्षणा जब बाहर आई  तब उसने देखा कि सासू माँ की आँखौ से आँसुऔ  की धारा बहती देखकर  पूछा," मम्मी जी क्या हुआ? क्या कहीं दर्द  होरहा है ?"

       नहीं बहू !  तेरी और समीर की बातें सुनकर  मुझे बहुत  पुरानी यादें ताजा होगई।  यह बात उन दिनौ की जब मेरी सास की अचानक तबियत  बहुत  ज्यादा खराब होगई और  उनके वदन  के एक हिस्से ने काम करना बन्द  कर दिया। उस समय मैं ससुराल  दूसरी बार आई थी। मेरी जेठानी ने सास की ऐसी हालत  देखकर   अपने मायके जाने का प्रोग्राम  बना लिया। वह सासू माँ की सेवा नहीं करना चाहती थी। शायद उनको मुझसे कोई  नाराजगी थी जिसका बदला वह मुझसे लेने की योजना बना रही थी।

       मेरी जेठानी के अपने मायके जाने के बाद सास की पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर  आगई।  मुझे ससुराल  की हर बात की जानकारी भी नहीं थी। मेरे लिए  सबकुछ  नया था। अब मुझे रसोई  की जिम्मेदारी भी सम्भालनी थी और सास की सेवा भी करनी थी।

       मैने अपने मायके में कभी इतना काम नहीं किया था। इसलिए  मुझे डर लग रहा था कि यह सब कैसे हो सकेगा।

      लेकिन ऊपर वाले की कृपा से मैं इसमें कामयाब  हुई मैने अपनी सास की सेवाएं कोई  कमी नही आने दी और ईश्वर  की कृपा से वह ठीक होगई।  मेरी सास ने उस समय मुझे जो आशीर्वाद  दिया था उसके फलस्वरूप ही  आज मुझे तेरी जैसी सुलक्ष्णी बहू मिली है ।  मेरा जीवन सफल होगया। स्वर्ग  में बैठे वह भी यह देखकर  कितने खुश होरहे होंगे।"

      सुलक्षणा ने अपनी सास के आँसुऔ  को अपने आंचल से साफ किये और उनके गले लग गई।

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु।
नरेश  शर्मा " पचौरी "

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6 Comments

Mohammed urooj khan

01-Apr-2024 02:08 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

30-Mar-2024 10:25 PM

शानदार

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Babita patel

30-Mar-2024 09:38 AM

Amazing

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