घर गृहस्थी

कहानी _ घर गृहस्थी।

लेखक_ श्याम कुंवर भारती 

ज्योत्सना कॉलेज से अपनी सहेलियों के साथ निकल रही थी ।पीछे पीछे प्रदीप भी अपने दोस्तो के साथ आ रहा था।कॉलेज में आज होली की छुट्टी हुई थी।प्रदीप ने अपने दोस्तो से कहा _ सह लड़के लड़कियों ने आज छुट्टी के अवसर एक दूसरे के साथ जानकर होली खेला और एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाया लेकिन ज्योत्सना और उसकी सहेलियां बिलकुल नहीं खेली ।इन सबने किसी से लगवाया और न किसी को गुलाल लगाने दिया।आज इन लोगो को छोड़ना नहीं है ।चलो आगे से सबको घेर लो।मैं ज्योत्सना को लगाऊंगा और तुम लोग उसकी सहेलियों को लगाना।
उसके दोस्तो ने खुश होकर कहा _ ठीक है चलो जल्दी से बड़ा मजा आयेगा।आज सबको रंगकर घर भेजेंगे।
एक दोस्त बिरेंद्र ने कहा_ लेकिन जरा संभल कर लगाना ज्योत्सना बड़ी गुस्से वाली लड़की है ।कही नाराज होकर तुमसे झगड़ा न कर ले।
जो होगा देखा जायेगा पहले चलो सबको रंगते है ।सब लोग अपना अपना रंग गुलाल तैयार रखो और चलो।प्रदीप ने कहा।
होली है बुरा ना मानो होली है।एक जोर दार नारा लगाते हुए प्रदीप  और उसके दोस्तो ने ज्योत्सना और उसकी सहेलियो पर रंग गुलाल लेकर हमला बोल दिया।इस अचानक हमले से सभी घबड़ा गई ।सभी इधर उधर भागने लगी लेकिन लडको के पकड़ से कोई बच नहीं पाई।
प्रदीप ने ज्योत्सना के गोरे गालों पर लाल रंग पोत दिया और फिर गुलाल लेकर उसके बालो और गालों पर लगा दिया।
ज्योत्सना गुस्से से लाल पिला होकर प्रदीप को खरी खोटी सुनाने लगी ।तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे रंग और गुलाल लगाने की ।उसने उसका कॉलर पकड़ लिया और उसके गाल पर तमाचा जड़ने जा रही थी लेकिन प्रदीप ने उसका हाथ पकड़ लिया।
इतना नाराज क्यों होती हो यार होली खेलना कोई गुनाह थोड़े ही है। देखो इस हाल में तुम और खूबसूरत लग रही हो।प्रदीप ने हंसते हुए कहा।
बाकी सहेलियां भी प्रदीप के दोस्तो के साथ उलझ गई थी।
पीछे और भी लड़के लड़कियां आ रहे थे।वे सभी उनकी होली देखकर जोर जोर से तालियां बजाते हुए होली है होली है चिल्लाने लगे।
लेकिन ज्योत्सना का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था।वो प्रदीप का कॉलर पकड़ कर खींचते हुए फिर से पीछे मुड़ गई और उसे प्रिंसिपल के ऑफिस में ले गई।सब लोग आश्चर्य से उन दोनो को देखते लगने।प्रदीप के दोस्त और ज्योत्सना की सहेलियां भी पीछे पीछे आ गए उन्हे ज्योत्सना की हरकत पर बड़ा आश्चर्य हो रहा था। भला होली खेलने पर इतना तमासा करने की क्या जरूरत थी।बेचारा प्रदीप ज्योत्स्ना को रंग गुलाल लगाकर मुसीबत मोल ले लिया था।
प्रिंसिपल ने पूछा क्या मामला है तुम प्रदीप को इस तरह लेकर क्यों आई हो।
देखिए न सर इसने बिना मुझसे पूछे मुझे अबीर गुलाल और रंग लगा दिया।आप इसके खिलाफ कोई कार्रवाई कीजिए।
प्रिंसिपल ने प्रदीप से पूछा_ तुम बताओ क्या ये सही कह रही है।
जी सर लेकिन आज होली की छुट्टी हो रही थी तो मैंने इसे लगाया था।उसने किसी को लगाया था और न लगाने दिया था ।इसलिए मैने लगा दिया था।
प्रदीप ने जवाब दिया।
देखिए सर इसने खुद कबूल कर लिया है।ज्योत्सना ने गुस्से से कहा।
तुम क्या चाहती हो हालांकि इसने बाकी स्टडेंट की तरफ तुमसे होली खेला है तुम्हारे साथ कोई छेड़छाड़ नही किया है।प्रिंसिपल ने उससे पूछा।
सर बिना मर्जी के किसी लड़की को रंग और अबीर गुलाल लगाना गलत है।आप कोई एक्सन लीजिए इसके खिलाफ ।
ज्योत्सना ने कहा।
तभी बाकी लड़के लड़कियों ने ज्योत्सना का विरोध करना शुरू किया ।होली के अवसर पर क्यों तिल का ताड बना रही हो ।छोड़ दो न।बात मत बढ़ाओ।
फिर सबने प्रदीप से कहा _ यार सोरी बोल दो बड़ी नकचढ़ी लड़की है ।
प्रदीप ने सॉरी बोल दिया।लेकिन ज्योत्सना नही मानी उसने प्रदीप का शर्ट बुरी तरह फाड़ दिया ।सब लोग आश्चर्य से उसे देखते गए।सबको बहुत गुस्सा आया लेकिन किसी ने कुछ नही कहा।
कॉलेज से बाहर निकल कर ज्योत्सना की सहेलियों ने कहा_ यार तुमने प्रदीप के साथ अच्छा नही किया।
इससे भी ज्यादा करना चाहिए उस उसके साथ। उसकी हिम्मत कैसे हुई  मुझे रंग और अबीर गुलाल लगाने की ।ज्योत्सना ने गुस्से से कहा ।

प्रदीप के दोस्तो ने कहा_ यार वो तो बड़ी घमंडी लड़की है।बेकार ही तुमने उसके साथ होली खेला।सारा मजा किरकिरा कर दिया।
तुम्हे कितना बेइज्जत किया।
बिरेंद्र ने कहा_ मैंने तो पहले ही इसे सावधान किया था लेकिन इसने मेरी बात नही मानी।

चलो छोड़ो यारो जो उसको अच्छा लगा उसने किया और जो मुझे लगा मैंने किया।अब चलो चलकर होली की योजना बनाते है ।इस बार की होली जान दार होनी चाहिए।प्रदीप ने कहा।

शेष अगले भाग _ 2 में 


लेखक_श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मॉब.9955509286

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4 Comments

Babita patel

07-Apr-2024 11:34 AM

V nice

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Mohammed urooj khan

01-Apr-2024 02:17 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

31-Mar-2024 11:07 PM

Nice

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