घर गृहस्थी भाग _2

कहानी _ घर गृहस्थी

भाग _2

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

प्रदीप की बात सुनकर उसके दोस्तो ने कहा _ बिलकुल हमलोगो के मोहल्ले में सभी जाति और धर्मो के लोग रहते हैं।सबसे पहले मोहल्ले में मीटिंग कर के सबसे राय मशवरा करेंगे ।जो तैयार होंगे उनको लेकर खूब धूम धड़ाके के साथ होली मनाएंगे।

सबको बनाने की जिम्मेवारी मुझपर छोड़ दो सब ।बाकी तैयारी तुम सब करना । जब सब मान जायेंगे सबसे चंदा कर के रंग अबीर और गुलाल लायेंगे।ठंडा और पुआ पकवान का इंतजाम करेंगे।ढोल बाजा भी मंगा लेंगे ।प्रदीप ने कहा।
इस बार किसी को भांग,शराब और किसी तरह का नशा नहीं करने देंगे।रात में सभी मोहल्ले वालों को लेकर पूरे विधि विधान के साठ होलिका दहन करेंगे।
उसके दोस्त बिरेंद्र ने कहा।
मोहल्ले की होली के बाद शाम को हम सब ज्योत्सना के घर जाकर उससे भी होली खेलेंगे।प्रदीप ने कहा।
पागल हो गया है क्या।इतनी बेइज्जती हुई वो कम है जो और कराना चाहता है।देखा नही वो रंग लगाते ही कितना बवाल मचा दी थी।बिरेंद्र ने कहा।
चाहे जो हो जाए हम तो होली के दिन उससे होली खेल के रहेंगे । तुमलोगो को चलना है तो चलना वरना मैं अकेले ही जाऊंगा।प्रदीप ने दृढ़ निश्चय करते हुए कहा।
 अरे यार उसके घर पर उसके माता पिता भाई बहन और मोहल्ले वाले भी होंगे अगर ज्योत्सना ने हो हल्ला मचाया तो उसके घर वाले तो धुनाई करेंगे ही मोहल्ले वाले भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
उसके दूसरे दोस्त ने कहा।
मुझे अंदाजा है लेकिन हमलोग योजना बनाकर उसके घर जायेंगे ।ज्योत्सना से होली भी खेलेंगे ,उसका पुआ पकवान भी खायेंगे और किसी का बाल बांका भी नही होगा।
प्रदीप ने कहा।
अच्छा तो बराओ क्या है तुम्हारी योजना जिसमे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
बिरेंद्र ने पूछा ।
प्रदीप ने सबको धीरे से अपनी योजना बताया।सुनकर सब खुश हो गए।यह ठीक रहेगा ।अगर ऐसा है तो हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे । तुम उसके साथ होली खेलना और हम लोग पुआ पकवान का मजा लेंगे।
मोहल्ले में प्रदीप ने रामजन चाचा , सरदार अमरीक सिंह,अंकल फर्नांडीस,रोहित जैन, मनमोहन अग्रवाल और ठाकुर जगजीत सिंह सभी से होली के संबंध में बातचीत किया। सबने कहा होली तो मिलने मिलाने का त्योहार है ।मोहल्ले में धूमधाम से होनी चाहिए।इसमें हमलोगो से जो भी सहयोग बनेगा हम करेंगे ।इतना कहकर सबने उसे एक एक हजार रूपए चंदा भी दे दिया और होलिका दहन से लेकर होली के उत्सव तक साथ देने का वादा भी किया।प्रदीप खुश होकर अपने दोस्तो को लेकर सभी जरूरी समाने की सूची बनाया और सबको लेकर बाजार से खरीदारी कर लिया।गाजा बाजा साउंड और संगीत दल को भी अग्रिम भुगतान कर दिया।मोहल्ले में बाकी लोगो से भी  चंदा ले लिया और सबको साथ रहने को कहा।
समय पर सभी गाजे बाजे के साठ होलिका दहन में शामिल हुए और पूरे विधि विधान सहित होलिका दहन किया।होलिका दहन होते ही सभी होली की धुन पर नाचते गाते हुए होलिका का परिक्रमा किया और नाचते गाते हुए अपने मोहल्ले में आ गए और मोहल्ले के चबूतरा पर एक दो घंटा होली के कई गीतों पर नाचते और झूमते  रहे।
सुबह फिर प्रदीप अपने दोस्तो और मोहल्ले के बच्चो के साथ होलिका दहन के स्थान पर गया और उसकी जली हुई राख को भभूत की तरफ सबले माथे पर लगाया और गाते बजाते हुए मोहल्ले में आया ।होलिका की राख को मोहल्ले में सबको लगाया और नहाने धोने के बाद सभी ने अपने  घर में बने पुआ पकवान का स्वाद लिया।फिर शुरू हुआ जमकर होली की हुड़दंग ।खूब रंग अबीर और गुलाल चला ।मोहल्ले के सभी लोगो ने एक दूसरे को रंग गुलाल लगाया और गले  लगाया।कई लोगो को आपस में मन मुटाव था लेकिन आज सब नाराजगी  और दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे के गले मिल रहे थे।
प्रदीप का प्रयास रंग ला रहा था।सभी बेहद खुश थे।इस बार की होली सबसे अलग हटकर हो रही थी ।मोहल्ले ले लोग खूब जमकर होली खेल रहे थे।
शाम होते ही प्रदीप ने अपने दोस्तो को ज्योत्सना के घर चलने का इशारा किया।
उसके दोस्तो ने कहा _ चलो चलते हैं लेकिन ध्यान रखना कोई गड़बड़ न हो ।प्रदीप ने कहा _ जिसको मैंने जो काम सौंपा है ।बेहिचक करते जाओगे तो कोई गड़बड़ नहीं होगी।

ज्योत्सना अपनी मां और बहनों के साथ अपनी रसोई में होली के लिए पुआ पकवान बना रही थी ।बाहर बच्चे हो हल्ला मचाकर होली खेल रहे थे।
ज्योत्सना ने रसोई गैस चालू किया लेकिन उसमे गैस ही नही थी।उसने सोचा गैस इतनी जल्दी कैसे खत्म हो गई।
तभी उसकी बहन रिंकी ने कहा दीदी नल में पानी भी नहीं आ रहा है।इतने में घर की बिजली चली गई।फ्रीज बंद हो गया। मिक्सी भी काम नही कर सकता था।
उसकी मां ने कहा _ बेटी डायरी से नंबर निकाल कर गेस डीलर,नल और बिजली मेकिनिक को फोन करो।सबको आज ही धोखा देना था।होली का त्योहार है और देखो क्या हो गया।उसकी मां चिंतित दिख रही थी।
थोड़ी देर में गैस का सिलेंडर लेकर एक लड़का हाजिर हुआ ।
एक मिस्त्री नल ठीक करने लगा और तीसरा बिजली ठीक करने लगा।सबने मास्क पहन रखा था।इतने में बाहर ढोल बाजा बजने लगा।लोगो को हुजूम नाचते हुए ज्योत्सना के दरवाजे पर पहुंच गया था।खूब रंग गुलाल चल रहा था।
थोड़ी देर में तीनो ने गैस ,नल और बिजली ठीक कर दिया । ज्योत्सना, उसकी मां और बहनों ने मिलकर ढेर सारे व्यंजन बना दिए।रसोई घर उसकी खुशबू से महकने लगा।
बाहर नाच गाना चल रहा था।मोहल्ले वाले भी उसमे शामिल हो गए।
ज्योत्सना ने कहा _ मम्मी चलो हम लोग भी बाहर देखते है।उनके बाहर जाते ही तीनो खाने के सामानों पर टूट पड़े और जमकर पुआ पकवान खाया।
दोनो लड़के धीरे से निकल गए।
तीसरा लड़का धीरे से ज्योत्सना के पीछे पहुंच गया जहा वो भीड़ भाड़ में खड़ी थी।सामने होली का नाच गाना चल रहा था।ज्योत्सना और उसकी मां बहन सब उसमे मगन थी ।तभी उस लड़के ने पीछे से ज्योत्सना के गालों पर गुलाल लगाकर तुरंत भीड़ में गायब हो गया।
ज्योत्सना हैरान होकर गुलाल लगाने वालो को देखती रह गई मगर वो कही दिख नही।उसकी ऐसी हाल देखकर उसकी बहने जोर जोर से हंसने लगी। ज्योत्सना ने उनको डांट कर चुप करा दिया।उसके गालों और बालो पर गुलाल पूरी तरह लग चुका था।इतना की उसका चेहरा ही पहचान में नही आ रहा था।वो लपक कर अंदर आई और आईने में चेहरा देखा ।अपना ऐसा हाल देखकर उसे बहुत  गुस्सा आया लेकिन किसपर गुस्सा उतारती।
अचानक वो मुस्कुरा दी ।शायद वो समझ चुकी थी यह किसकी शरारत हो सकती है।उसकी हिम्मत और सूझ बूझ पर उसे बड़ा प्यार आया।

शेष अगले भाग _3 

लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मॉब.9955509286

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4 Comments

Babita patel

07-Apr-2024 11:34 AM

V nice

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Mohammed urooj khan

01-Apr-2024 02:35 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

31-Mar-2024 11:06 PM

Nice

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