Sadhana Shahi

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दोस्ती (कविता) प्रतियोगिता हेतु31-Mar-2024

दिनांक- 31/03/ 2024 दिवस रविवार प्रदत्त विषय- दोस्ती (प्रतियोगिता हेतु)

दोस्ती का किस्सा कभी पुराना नहीं होता, इसे मज़बूरी में कभी निभाना नहीं होता । यह दिल का रिश्ता है दिल से ही है निभाया जाता अस्वीकृति का डर कभी बनाया नहीं जाता ईर्ष्या, द्वेष कर विषवेल उगाया नहीं जाता इसमें जाति, धर्म, मज़हब को आना नहीं होता दोस्ती का किस्सा कभी पुराना नहीं होता इसे मज़बूरी में कभी निभाना नहीं होता।

महती सभी हैं रिश्ते पर दोस्ती प्रधान इसे निभा ले जाते हैं जो थे कभी अनजान रुपए और पैसे का कभी होता नहीं गुमान एक दूसरे की खा़तिर हाज़िर कर देते हैं जान इस रिश्ते में कभी किसी को आजमाना नहीं होता दोस्ती का किस्सा कभी पुराना नहीं होता इसे मज़बूरी में कभी निभाना नहीं होता।

इसको निभा के कान्हा जग में बन गए महान कपि सुग्रीव इसी की खातिर न्योछावर कर दिए जान चंद्रवरदाई काबुल में इसीलिए दिये प्रान वरदाई, चौहान की दोस्ती जाने सारा जहान मानव क्या पशु को भी इसे बताना नहीं होता दोस्ती का किस्सा कभी पुराना नहीं होता इसे मज़बूरी में कभी निभाना नहीं होता।

कहने को तो चेतक पशु था पर दोस्ती ख़ूब निभाया अंतिम सांँसों तक राणा का बना रहा वह साया इतना पावन रिश्ता जो कभी असहज ना कर पाया भावनात्मक अंतरंगता का यह प्रशिक्षण है जगाया विश्वास और सम्मान को कभी ढहाना नहीं होता दोस्ती का किस्सा कभी पुराना नहीं होता इसे मज़बूरी में कभी निभाना नहीं होता

साधना शाही, वाराणसी

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4 Comments

Gunjan Kamal

10-Apr-2024 02:57 PM

👏🏻👌🏻

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Mohammed urooj khan

01-Apr-2024 02:44 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

01-Apr-2024 08:58 AM

V nice

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