इश्क़
वैसे तो हर इंसान इश्क को अलग-अलग तरीकों से परिभाषित करता है| सभी के लिए इसके मायने अलग-अलग होते हैं | इश्क़ एक मानवीय संवेदना है| जब इश्क होता है तो शारीरिक आकर्षण का मूल खत्म हो जाता है| संवेदनहीन इश्क मात्र इश्क का प्रतिबिंब होता है जो समय के साथ और उड़नछू
हो जाता है |इश्क़ एक जिम्मेदारी होती है आइए एक सत्यकथा सुनाता हूं.............
एक लड़का था अच्छे घर से था. पढ़ने में भी अच्छा था, पैसे वाले घर से संबंध रखता था| उसको किसी से भी प्यार हो जाता था उसके हिसाब से प्यार के मायने सिर्फ अच्छी शक्ल और अच्छी आवाज थी| उसके पास कभी भी प्रेमिकाओं की कमी नहीं रही |हमेशा वह प्रेमिकाओं से प्यार के सपनों पर बात करता था |आलम यह था कि अगर उसकी प्रेमिका किसी बात को मना करती तो मैं उस कार्य को जरूर करता था| समय बीतता गया और वह प्यार से खेलता हुआ आगे बढ़ता गया |1 दिन उसकी शादी तय हो गई ........
वाह! जनाब एकदम बदल गए उनकी पत्नी के खरोच भी लगती तो उनको दर्द का एहसास होता है| पत्नी की एक एक जरूरत एक बड़ी शिद्दत से पूरी करते थे|
इस छोटी सी पंक्तियों का संक्षिप्त यही था कि ऐसा नहीं है कि वह लड़का "जोरू का गुलाम" हो गया था | शादी के पश्चात उसे जिम्मेदारी का एहसास हुआ और उसी एहसास को ने उसको प्यार से आवर्धित कर दिया |
प्रेमी- प्रेमिकाओं में अक्सर लड़ाइयां होते और अलग होते (ब्रेकअप) देखा है हम सभी ने, पर शादी के बाद लोग अलग तभी होते हैं जब परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं इसलिए होता है क्योंकि संवेदना योजनाओं का नजरिया बदल चुका होता है| जिंदगी को जीने का तरीका बदल चुका होता है|
इश्क़ की सरगोशीयों के लिए आब -ए -सार में डूबना पड़ता है| सच्चा इश्क वो आईना होता है जहां किसी भी इसबात की जरूरत नहीं होती | इश्क वह है जो अपूर्णता को पूर्ण करता है | अंधेरी गलियों में चिराग बनता है इश्तियाक नहीं उरूज़ बनता है|
क्रमश:......
( अगले भाग में बात करेंगे " कच्ची उम्र का प्यार "....)
Sonali negi
03-Jun-2021 03:53 PM
Nice
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Sonali negi
03-Jun-2021 03:52 PM
Osmm
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OMESHWAR PATHAK
22-Apr-2021 12:40 PM
आपके पेज पर आकर बहुत अच्छा लगा
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