Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -02-Apr-2024

     शीर्षक - कोशिश से कामयाबी तक                                                                                                ‌‌                      ******************* **
                समय बलवान होता हैं।और कुदरत के साथ साथ बदलता हैं हम सभी जानते हैं कि हमारा  भाग्य और कुदरत के रंग हमारे जीवन में एक सोच और एक सच कहते हैं। या शब्दों को सही समझते हैं कि जीवन में मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक का सच रहता हैं।  और हम सभी समय के साथ-साथ बंधे हुए हैं। भला ही हम कितना घमंड करने परंतु कुदरत साथ हम बहस नहीं कर सकते हैं। और समय के साथ कोशिश से कामयाबी तक हम सभी  समय के साथ बंधे रहते है। 
             हम सभी जानते हैं कोशिश से कामयाबी तक सफल जीवन में अपने-अपने भाग्य है और कुदरत के सहयोग से होते है। एक सच मेरा भाग और कुदरत के रंग हमेशा जीवन की कर्म के अनुसार कोशिश से कामयाबी तक समय  का साथ-साथ चलता है।
            अनामिका और  सुलेखा  एक मोहल्ले में पड़ोस में रहती थी अनामिका सुंदर और अच्छे शरीर की तगड़ी और मोटी थी। सुलेखा इतना सुंदर नसरत मध्यम कद काठी शरीर की मध्यम कद की थी। अनामिका एक हॉस्टल में वार्डन थी और सुलेखा एक स्कूल के रसोई घर में खाना बनाने वाली रसोईया थी परंतु अनामिका और सुलेखा में एक अच्छी दोस्ती थी। परंतु समय बहुत बलवान होता है और समय के साथ-साथ हम सभी बदल जाते हैं। हम सभी एक सच बहुत अच्छी तरह जानते हैं हमारी किताब हमारी कहानी का शीर्षक हमारा भाग्य या मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है परंतु अनामिका जिस हॉस्टल में वार्डन थी उसी हॉस्टल में एक कोरियर बॉयज आता था उसका नाम सुनील था सुनील देखने वाले में सुंदर था परंतु अनामिका की उम्र से 5 साल छोटा था फिर भी अनामिका और सुनील में एक दूसरे के प्रति आकर्षण और प्रेम था और अनामिका हॉस्टल की वार्डन होने के साथ-साथ बाल विधवा थी और वह रूढ़िवादी बातों को नहीं मानती थी फिर भी समाज और समय के साथ-साथ उसके जीवन में घर के लोगों की तरफ से कोई समझौता नहीं था। क्योंकि अनामिका के घरवाले लालची किस्म के थे और वह अनामिका की कमाई को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। उसे अनामिका को हमेशा यह बात याद दिलाते थे कि वह बाल विधवा है। जबकि उसका प्रेमी सुनील उस उम्र में छोटा होने के बाद भी उसे यही समझता था और समय बदलता रहता है और क्षण भर का बदलाव समय का हमें अपने मन भावों से बहका देता हैं। उधर सुलेखा जहां काम करती थी वहां उसे घर की सब लोग कहीं बाहर गए हुए थे तो घर में घर के मालिक में सुलेखा को गलत नीयत से पकड़ लिया और सुलेखा ने बहुत अपने बचाव में हाथ पांव मारे परंतु उसका मालिक बुढ़ापे में भी ताकत का धनी था और सुलेखा से शारीरिक सुख लेने के बाद उसको चुप रहने के लिए कुछ रुपए दे देता है रुपए को देखकर सुलेखा भी अपना मन बदल लेती है क्योंकि समय बदलता रहता है और कोशिश से कामयाबी तक समय के साथ सफलता मिल जाती है। अब सुलेखा और मकान मालिक जब भी मौका मिलता तो दोनों कोशिश से कामयाबी तक के नियम के अनुसार अपने तन मन को तृप्त करते रहते थे। सुलेखा भी अब अपने जीवन को मकान मालिक के सुपुर्द कर चुकी होती है। दूसरी ओर अनामिका भी मन और चंचलता के साथ उम्र में अपने से छोटे सुनील के साथ हॉस्टल के कमरे में हम बिस्तर होने लगी और वह मन भावों में बाल विधवा होने का भेदभाव खुद नहीं मन से निकाल दिया।
              समय के साथ अनामिका और सुलेखा दोनों एक दिन अपने अपने घर आई होती हैं तो दोनों एक दूसरे को देखकर बहुत खुश होती है और अनामिका सुलेखा के घर आ जाती है दोनों सहेलियां आपस में बातें करती हैं और एक दूसरे को देखकर मन के भेद आपस में बताती हैं। दोनों एक दूसरे को छेड़ते हुए कहती है दोनों पर जवानी आ रही है दोबारा लौटकर ऐसा लगता है तब अनामिका रहती है किसी भी कोशिश से कामयाबी तक बिना मेहनत के सफलता नहीं मिलती तब इस बार अनामिका एक दूसरे की चुटकी लेते हुए कहती है लगता है। हम दोनों एक दूसरे से कुछ छुपा रहे हैं। फिर अनामिका सुलेखा अपने लिए चाय बना कर ले आती है और दोनों मकान मालिक और सुनील के विषय में बात करती है। और दोनों एक दूसरे से कहती है हम जीवन का सुख मेरा भाग्य और कुदरत के रंग के साथ ऐसे ही चोरी चुपके ले सकते हैं। समय बलवान होता है हम दोनों जीवन की इस उम्र के पड़ाव पर भी कोई हमारा शारीरिक सुख और जीवन के सुख को देखने वाला नहीं है सुलेखा और अनामिका एक दूसरे से कहती हैं सच हमारा भी तो शरीर जीवन सुख मांगता है परंतु हम अपनी इच्छाओं को मारकर जीवन जीते थे तब ईश्वर ने शायद हमारे लिए ऐसी कोशिश से कम है अभी तक का रास्ता निकाला कि हमारी शारीरिक तृप्ति भी हो गई और मन भावों में हमारा जीवन का जन्म शारीरिक सुख से भी पूर्ण हुआ। अनामिका और सुलेखा बताती है सुनील तो मुझे बहुत सुख देता है और मेरा मुझे तृप्त कर देता है। सुलेखा रहती है मेरा मकान मालिक बहुत ताकतवर है और वह मुझे बिल्कुल तोड़ कर रख देता है मुझे भी आप उसके बिना सुकून नहीं मिलता है अब शरीर को कुछ समय के साथ-साथ आदत हो गई है दोनों अनामिका से देखा एक दूसरी को अपने जीवन की आप बीती सुनती हैं और कहती है अब हम गलत कर रहे हैं या सही यह तो ईश्वर जानी हम तो अब जीवन में मेरा भाग्य कुदरत की रंग में एक सच के साथ चलते चले जा रहे हैं तब अनामिका और सुलेखा एक दूसरे से कहती है हमें अपने जीवन में यह डर रहता है कहीं हम पेट से ना हो जाए तब सुलेखा कहती है वह भी कोई बात नहीं है हम दोनों एक दूसरे की जचगी में काम कर लेंगे वह दोनों बहुत जोर से हंसती हैं तब कहती हैं कोशिश से कामयाबी तक अब तो जीवन में हम इस तरह ही जीवन जी सकते हैं।
         सुलेखा और अनामिका कहती है अरे हम जैसी नारियों का भी कोई जीवन है और आंखों में आंसू भरकर सोचती हैं यह तो एक समय बिताने का और शरीर की भूख मिटाने का कभी-कभी  कोशिश से कामयाबी तक का सफर कह सकते हैं। सुलेखा और अनामिका कहती है। हम सभी हम सभी नारियों पुरुष की तरह स्वतंत्र क्यों नहीं हो सकती पुरुष पर स्त्री से प्रगामी स्त्री संबंध बनाकर भी स्वच्छ रहता है परंतु नारी दूसरे की साथ हम बिस्तर होते ही तरह-तरह के नाम से पूजी जाती है कभी वैश्या कभी रखेल कभी बदचलन और हमारा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कामयाबी से सफलता तक हम सभी नारियों के मन और हकीकत को समझें तब हम सभी नारियों को झूठ और फरेब की राह न चुन्नी पड़े।
              अनामिका और सुलेखा बातों बातों में सो जाती है और अब अनामिका और सुलेखा एक-दूसरे आलिंगन करती हैं और अपने शरीर की तृप्ति को एक दूसरे से शांत करती है फिर दोनों एक दूसरे से कहती हैअब हमारी जिंदगी भी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग के साथ-साथ एक स की राह पर चल रही हैं। और दोनों एक दूसरे से विदा लेकर अपने-अपने जीवन की राह पर चल पड़ती है और दोनों के मन भावों में कोशिश से कामयाबी तक मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच रहता है ऐसा सोचते हुए अनामिका और सुलेखा अपने-अपने काम की ओर चली जा रही होती है।
                 मेरा भाग्य और कुदरत के रख सच में समय के साथ-साथ कोशिश से कामयाबी  तक समय  ही मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहता है।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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5 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 12:10 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

10-Apr-2024 11:42 PM

Nice

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kashish

07-Apr-2024 10:30 AM

Amazing

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