Sadhana Shahi

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मेरी गुड़िया मेरा सपना (कविता)06-Apr-2024

मेरी गुड़िया मेरा सपना

मेरी गुड़िया, मेरा सपना , मेरा दिल चैन आ गया। कैसे तुझको बतलाऊंँ , मेरा दिन रैन आ गया।

नज़र भर देख लूॅं इसको, दिल को चैन आता है। बोझिल मन व आंँखें थीं, तू आई जैन आता है।

मेरे घर का सूरज था, काले मेघों में घिरा। बेटा तेरे आने से, उसमें आभा है बिखरा।

तू मेरी आन है बेटा, तू मेरी जान है बेटा। मुकम्मल कर दे हर सपना, तू अभिमान है बेटा।

तू पहचान मेरी बन, जिसे देखें जगत के जन। कर दे काज तू ऐसा, रोशन हो नीला गगन।

तुझमें तेज अद्भुत है, प्रबल तप आस है तुझमें। मुझे चिंता न तेरी है, भरा मधुमास है तुझमें।

बड़े मज़बूत तेरे पर, तू आकाश में उड़ ले । खेद करें वो नर सदा, जो खटास हैं पाले।

तू है प्रात की आभा , तेरी छवि ले विस्तार। सज्जन हेतु बनना फूल, दुर्जन के लिये कटार।

तेरे अरमान जो भी हैं, पूरे होंगे वो सारे रोड़ा बन कोई आए, बैरी उस सा ना प्यारे।

प्यार व त्याग हो तुझमें, पर संग में खुद्दारी हो। चारुचंद्र सी दमके, रवि मयूख अधिकारी हो।

मेरे जीवन की बगिया में, तू फल- फूल सा बनना। जो ठानो उसको पालो तुम, सद्वृत्ति को सदा गनना।

साधना शाही,वाराणसी

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4 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 10:51 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

08-Apr-2024 07:57 PM

👌🏻👏🏻

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Varsha_Upadhyay

07-Apr-2024 09:50 PM

Nice

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