Anju Dixit

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संसार

इस संसार का न पा सका कोई पार,

भिन्न भिन्न , के लोग भिन्न  क् व्यवहार है।

  सबके अपने अपने मत, सबके अपने तर्क,
सबका अलग अलग आकार है।

  कभी पुष्पों से सुरभित , मनोरम हवाएं,
कहीं प्रकृति का रूप बड़ा विकराल है।

 पर एक बात सच है यह मान लो,
नाव हैं भांति भांति पर वो ही पतवार है

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3 Comments

Swati chourasia

25-Oct-2021 12:55 PM

Very nice 👌

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Niraj Pandey

25-Oct-2021 10:43 AM

वाह

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Ramsewak gupta

25-Oct-2021 09:19 AM

बहुत खूब

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