संसार
इस संसार का न पा सका कोई पार,
भिन्न भिन्न , के लोग भिन्न क् व्यवहार है।
सबके अपने अपने मत, सबके अपने तर्क,
सबका अलग अलग आकार है।
कभी पुष्पों से सुरभित , मनोरम हवाएं,
कहीं प्रकृति का रूप बड़ा विकराल है।
पर एक बात सच है यह मान लो,
नाव हैं भांति भांति पर वो ही पतवार है
Swati chourasia
25-Oct-2021 12:55 PM
Very nice 👌
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Niraj Pandey
25-Oct-2021 10:43 AM
वाह
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Ramsewak gupta
25-Oct-2021 09:19 AM
बहुत खूब
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