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लेखनी कहानी -12-Apr-2024

शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग....एक सच ************************************ भाग्य और किस्मत और कुदरत के रंग यह तीन चीज होती हैं कहानी और लेखक हम सभी करते हैं आप और हम भी हो सकते हैं बस हम सभी को सच और सत्यता की घटनाओं को कल्पना में डालकर एक परिकल्पना जोकि हम सभी मानव समाज और सामाजिकता के साथ हम सभी को एक सच की रहा और कुदरत के रंग और भाग्य और समय चक्र को बताती है जिससे हम सभी जीवन में एक दूसरे का सहयोग करने के लिए एहसास रखते हैं जीवन का सच तो हम सभी को मालूम है पर फिर भी हम सभी समय के अनुसार अपने धन संपदा और अपनी शारीरिक स्तर मानसिक सोच को बदल देते हैं। रमेश एक 50 साल का अधेड़ अपनी एक मात्र संतान 20 वर्षीय बेटे की मृत्यु के बाद शमशान घाट में उसका दाह संस्कार करके घर आता है तब उसकी बीवी रागिनी पूछती है कि मेरा बेटा मुझे लौटा दो अब हम जीवन में कैसे जीएंगे। रमेश और रागिनी अपने जीवन को दुखों से भरा समझ कर और अपने जीवन को खत्म करने की लिए दोनों एक दूसरे हाथ पड़कर निकल पड़ते हैं। और रमेश और आदमी पहले एक मंदिर में पहुंचती है और भगवान किसी चरणों में जीवन के घटना के लिए अपने पुत्र की मृत्यु के लिए भगवान को दोषी मानते हैं और भगवान से कहते हैं हे प्रभु हे भगवान आपने हमसे किस बात का बैर और दण्डित किया है हमारी बेटे की जगह हमें मार देता प्रभु ऐसी विलाप करते हुए रो रहे होते हैं तब मंदिर की पुजारी आते हैं। और मैं रमेश और रागिनी की मनोदशा और पुत्र का प्रेम और उम्र के साथ-साथ जीवन की खुशियों का मूल समझते हैं तब पुजारी जी कहते हैं यह ईश्वर का दरबार है और यहां से कोई खाली नहीं जाता देने वाला भी यही लेने वाला भी यही है जो मैं ऐसी परीक्षाएं दूं प्रभु के लिए तो पुजारी जी कहते हैं। पुजारी जी रमेश और रागिनी को समझते हैं यह हमारे सभी जीवन के कम है वरना तो हम सभी को बस समय के अनुसार कोई बात होती है तो हम उसका दुख हमें काम होता है दुख तो हमें उसका भी होता है और वह पुजारी रागिनी और रमेश को कहता है की आत्महत्या करना तो वहां पाप है आप प्रभु की लीला को अपने जीवन में धैर्य और समय के साथ समझो और पुजारी कहता है कुछ दिन आप मंदिर में ही सेवा करो मंदिर में ही रहो आप जब तक आपका मन लगे तब रागनी और रमेश कुछ दिनों के लिए मंदिर में बने कमरों में सेवा भाव करने के लिए रुक जाते हैं और कुछ दिनों रागिनी और रमेश को कुछ मां और हृदय में सबलता मिलती है। और मैं पुजारी से विदा लेकर अपने घर की ओर चल पड़ती है परंतु घर में जाकर उनका मंदिर होता है और बेटे की यादें उसे फिर भाव विभोर कर देती है परंतु जीवन का सत्य था वह सत्य था कि उनका बेटा अब मर चुका था तब आज पड़ोस के लोग उनसे आपके आते हैं कि आजकल आधुनिक तकनीक से भी बच्चे हो जाते हैं तब दोनों रागिनी और रमेश डॉक्टर से सलाह लेकर आदमी तकनीक से बच्चों के लिए प्रक्रिया करते हैं और रागिनी कुछ साल कुछ महीनो में एक सुंदर सी कन्या को जन्म देती है कन्या को देखकर भी रागनी और रमेश खुश हो जाते है और कहते हैं मेरा घर परिवार तो बन गया हैं। रागिनी और रमेश अपनी बेटी का नाम रीना रखती है और समय के साथ-साथ रीना भी साल भर की हो जाती है अब रामेश रागनी अपने जीवन की ओर पुनः लौटने लगते हैं। कुदरत और भाग्य इसका कवि पता नहीं किसके साथ कब यह बदल जाए तभी तो हम सच कहते है मेरा भाग्य कुदरत के रंग एक सच हम सभी अपने शारीरिक मानसिक स्तर से धन संपदा से सब कुछ खरीद सकते हैं सब कुछ कर सकते हैं परंतु एक समय चक्र ऐसा होता है कि वह कुशल परिवार को भी दुखद कर सकता है और दुखित परिवार को भी खुश कर सकता है जीवन का यही एक नियम है इसलिए दोस्तों और मेरे पाठको सभी से मेरा निवेदन है कि हम सभी को जीवन में एक दूसरे का सहयोगी होना चाहिए पता नहीं जीवन में कब किसके साथ क्या समय चक्र हो जाए परंतु बहुत से लोग सामाजिक दृष्टिकोण से किसी के साथ घटनाओं को सच न मानकर एक मजाक समझते हैं क्योंकि एक कहावत है जब तक किसी के पैर में चोट नहीं लगती दूसरे की चोट का एहसास नहीं कर पाता और जीवन का समाज के साथ-साथ यही नियम भी है हम सभी एक दूसरे के साथ खुशी में रहते हैं दुख में तो हम उसके साथ दूर-दूर खुद चले जाते हैं मेरा भाग्य कुदरत के रंग में एक सच है दुख तो हर मनुष्य को जीवन में भोगना पड़ता है परंतु कब किसके साथ कौन सा दुख आएगा यह विधाता को ही मालूम है इसलिए मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ पढ़ते रहिए और अपनी अपनी प्रतिक्रिया जरूर देते रहिए मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच और कल्पना और मानसिक स्तर से लिखी हुई सच घटनाओं के साथ किसी के जीवन से इत्तेफाक हो यह भी इत्तेफाक ही होगा पढ़ते रहिए मेरे साथ मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच है।


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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3 Comments

Gunjan Kamal

19-Apr-2024 06:31 PM

👌🏻👏🏻

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Babita patel

16-Apr-2024 06:06 AM

V nice

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Mohammed urooj khan

15-Apr-2024 11:48 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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