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बैसाखी का पर्व लेखनी प्रतियोगिता -13-Apr-2024



     शीर्षक:- बैसाखी का पर्व


       बैसाखी का त्योहार  बैसाख  के महीने के आने का प्रतीक  होता है एवं बैसाखी का त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी  माना जाता है। इसे वैसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है।  हर साल बैसाखी का त्यौहार 13 या 14 अप्रैल को ही  मनाया जाता है। इस त्योहार को पंजाब और हरियाणा में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बैसाखी के कई अलग-अलग नाम हैं। इसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु कहते हैं. बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं। बैसाखी के दिन हरियाणा व पंजाब  में नाच नाचकर  व गाकर यह त्योहार  मनाया जाता हैं। सिख लोग इस दिन खूब भंगडा करते हैं।

इस महीने में रबी की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है. इसीलिए बैसाखी को फसल पकने और सिख धर्म की स्थापना के रूप में  भी मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। तभी से बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है।
      
        बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है इसलिए विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं. बैसाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है। इस दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करते हैं जिस कारण इसे मेष संक्रांति के रूप में भी मनाते हैं।

         बैसाखी के दिन गुरुद्वारौ में  भजन कीर्तन  का आयोजन  किया जाता है। वहाँ पर गरीब  लोगौ के लिए  लंगर भी लगाया जाता हैं। बैसाखी के दिन के बाद रबी की फसल कटना आरम्भ  होजाती है।

     आजकल  बैसाखी का त्योहार  विदेशौ में भी मनाया जाता है। वहाँ रहने वाले सिख समुदाय  के लोग इसे बहुत  खुशी से मनाते हैं। जहाँ जहाँ सिख समुदाय  के लोग रहते हैं वहाँ पर भंगडा व कीर्तन करते है। इस दिन लोग नये नये कपड़े  पहनकर  मेला देखने जाते है । मेले मे अनेक तरह के कर्तव्य दिखाये जाते हैं।
  


     सिख समुदाय के लोगों के बीच बैसाखी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. वे इस त्योहार को बेहद खुशी और आनंद के साथ मनाते हैं. यह त्योहार पंजाबी नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। बैसाखी के पर्व को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। बैसाखी फसल, नई शुरुआत और सिख समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। इस महीने में रबी की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है। इसीलिए बैसाखी को फसल पकने और सिख धर्म की  स्थापना का त्योहार  है।

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "


 

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3 Comments

Gunjan Kamal

19-Apr-2024 06:30 PM

👌🏻👏🏻

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Babita patel

16-Apr-2024 06:04 AM

Amazing

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Mohammed urooj khan

15-Apr-2024 11:47 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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