नीति-वचन-9
*नीति-वचन*-9
दुर्जन-संग होय दुर्भागी।
सज्जन-साथ होय सौभागी।।
संत-बचन चंदन की नाई।
सुनतइ चित-मन हो सितलाई।।
धर्माचरन आचरन साँचा।
धर्म बिरुद्ध ब्यवहार पिसाचा।।
बिद्या अहहि बिनम्रता-मूला।
औषधि प्रेम जाय जग-सूला।।
मातु-पिता सभ देवन्ह-देवा।
बहु सुख मिलै करउ तिन्ह सेवा।।
नर-तन मानउ अंतिम द्वारा।
प्रबिसि जाहि जिव हो उद्धारा।।
दोहा-माटी-तन माटी मिलै,साँस मिलै जा बायु।
परमातम सँग आतमा, अस बेदन्ह समुझायु।।
लूटन मा सुख नहिं मिलै,मिलै जे जाइ लुटाय।
दीप जरत लखतै सलभ,बहुतै सुख जरि पाय।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
९९१९४४६३७२
Mohammed urooj khan
17-Apr-2024 12:03 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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hema mohril
15-Apr-2024 08:17 PM
Amazing
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hema mohril
15-Apr-2024 08:17 PM
Amazing
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