Sadhana Shahi

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व्याख्या नवरात्रि की (लेख)17-Apr-2024

व्याख्या नवरात्रि की

*नवरात्रि का अर्थ नवरात्रि नव और रात्रि दो शब्दों के योग से बना है, जिसका अर्थ है नव रात्रि और दस दिनों का समूह। इन दिनों शुद्ध ,सात्विक मन से मांँ दुर्गा के नौ रूपों का श्रद्धा एवं भक्ति के साथ पूजा करने का विधान है।

*सृष्टि का निर्माण दिवस पुराणों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही देवी मांँ ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का कार्य भार सौंपी थीं। इसीलिए चैत्र नवरात्रि के प्रतिपदा को सृष्टि के निर्माण का दिवस भी कहा जाता है।

*देवी-देवताओं के कार्यों का विभाजन भागवत पुराण के अनुसार इसी दिन देवी मांँ ने सभी देवी- देवताओं के कार्यों का विभाजन किया था, जिसके फलस्वरूप सभी देवी -देवता सृष्टि के संचालन हेतु देवी मांँ से आशीर्वाद लेकर अपने- अपने कार्य को सुचारू रूप से करना आरंभ किए थे। यही कारण है कि इस दिन से हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है

*अन्य मान्यता दूसरी मान्यता के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का निर्माण कार्य आरंभ किया था, तथा इसकी प्रेरणा भगवान विष्णु को दिया था।

*देवी मांँ से प्रार्थना सृष्टि के निर्माण की तिथि होने के कारण ही नवरात्रि के पूरे नव दिन मांँ जगदंबा के भिन्न-भिन्न रूपों का श्रद्धा एवं भक्ति के साथ व्रत एवं पूजा करके देवी मांँ से प्रार्थना किया जाता है कि हे माँ! जिस प्रकार आपने संसार की रचना का कार्य सफलतापूर्वक किया उसी प्रकार हमारा भी नया वर्ष सुख ,समृद्धि, खुशहाली एवं सफलतापूर्वक बीते ।

*मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म- ऐसा कहा है कि चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रूप में धरती पर अपना सातवांँ अवतार लिया था। किंतु यहां मैं आपको यह बताना परमावश्यक समझती हूंँ कि नवरात्रि के पावन व्रत,पूजा करने से पूर्व जगत का कल्याण करने वाले इस उत्सव की कथा के विषय में जान लें। इस त्योहार से जुड़ी एक कथा का वर्णन निम्न प्रकार है-

*पुराणों के अनुसार पुराणों के अनुसार नवरात्रि महिषासुर के मर्दन का समय है ।ऐसा कहा जाता है कि महिषासुर जो ब्रह्म-ऋषि कश्यप और दनु का पोता,रम्भ का पुत्र तथा महिषी का भाई था। जो एक धोखेबाज एवं आतताई दानव के रूप में विख्यात था। जो अपना रूप और आकार बदलकर गलत कार्यों को अंजाम देता था। नवरात्रि की पावन बेला में ही मांँ अंबे ने महिषासुर का मर्दन करके देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था।

ऐसी मान्यता है कि महिषासुर ने भगवान शिव की आराधना करके उन्हें प्रसन्न कर लिया था और वरदान स्वरूप उसने अद्वितीय शक्तियांँ प्राप्त कर ली थीं। जिसके फलस्वरूप उसे कोई भी पराजित नहीं कर सकता था यहांँ तक कि ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश भी स्वयं उसे पराजित करने में असमर्थ थे। महिषासुर के आतंक से सभी देवता त्रस्त हो गए थे। उस समय सभी देवता अपनी रक्षार्थ अपनी- अपनी शक्तियों को मिलाकर दुर्गा देवी को अवतरित किए। सभी देवताओं के तेज़ से जन्मी मांँ दुर्गा महिषासुर का मर्दन कर महिषासुरमर्दिनि कहलाईं।और देवताओं के कष्टों को दूर कीं।।

साधना शाही, वाराणसी

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3 Comments

Mohammed urooj khan

20-Apr-2024 11:12 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

19-Apr-2024 06:26 PM

👌🏻👏🏻

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Anjali korde

18-Apr-2024 02:50 PM

Amazing

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