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नीति-वचन-11

नीति-वचन(चौपाइयाँ)
      *नीति-वचन*-11
सत्ता-प्रभुता-मद को नाहीं।
सावन-सरिता-जल इतराहीं।।
   भौतिक-सुख-संपति-संसाधन।
    अहहिं आजु,कल अवसि बिनासन।।
ई रहस्य जे जानै जग मा।
पीड़ा कबहुँ न हो तिसु मन मा।।
  काम-क्रोध-मद-लोभ व मोहा।
  बिरत संत मन सभ संमोहा।।
निरबल-सबल,बिपन-धनवाना।
पापी-धरमी, दुष्ट-सुजाना।।
    सम अरु बिषम,ऊँच अरु नीचा।
    जीवन-जल लइ बगिया सींचा।।
धन्यइ-धन्य नाथ तव करनी।
रँगेयु प्रीति-रँग जग अरु धरनी।।
   महिमा नाथ न जाय बखानी।
   आगि संग प्रभु दीन्हा पानी।।
जीवन-मरन, लाभु अरु हानी।
सुख-दुख जीवन रची कहानी।।
जसु-अपजसु अरु बिजय-पराभव।
अद्भुत रचना अहहि नाथ तव।।
     बिबिध बिटप-गिरि-सरिता-सागर।
     अतुल कलाकृति नाथ गुनागर।।
नभ-मंडल प्रभु-आभा मंडल।
रबि-ससि करहिं चहूँ-दिसि मंगल।।
     अजा-व्याघ्र-सिंह सँग हरिना।
      गज सँग चींटी अद्भुत रचना।।
दोहा-अद्भुत लीला नाथ कै, महिमा नाथ अपार।
        जे जन प्रभु-सुमिरन करै, होय तासु उद्धार।।
                      ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                       9919446373

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2 Comments

Mohammed urooj khan

23-Apr-2024 04:16 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Arti khamborkar

22-Apr-2024 04:31 PM

V nice

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