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कल

कल की नहीं खबर है कोई,

किसने देखा कल क्या होगा।
महल मिले या झोंपड़ पट्टी,
हस्त लकीरों से तय होगा।

कोई झूले कनक पालना,
कोई मिट्टी से मेल करे।
कोई कंठ दुग्ध को तरसे,
छप्पन भोग कहीं पर होगा।

दशरथ जी के चार पुत्र थे,
अंत समय पर कब कोई था।
राजतिलक की तैयारी थी,
किसे पता वनवासी होगा।

राधा-कृष्णा युग-युग प्रेमी,
परिणीता क्यों रुक्मणी है।
प्रीत सच्ची कैसा नतीजा,
विरह दग्ध में तपना होगा।

घर में भरे भण्डार अन्न के,
चुगने वाला परिंदा नहीं।
कोई मां के बिन तन्हा है,
कोई आंचल खाली होगा।

हाय मेरा सब हाय मेरा,
सात पीढ़ियां एकत्र करें।
अंत समय सब यहीं रह गया,
खाली हाथ सुलगना होगा।

कोई माँ वृद्धाश्रम रोए,
कोई माँ घर बेइज्जत है।
समय चक्र पहचान "श्री" बन्धु,
तुझको भी सब सहना होगा।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)

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3 Comments

Mohammed urooj khan

25-Apr-2024 11:48 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Abhinav ji

25-Apr-2024 08:11 AM

Very nice👌

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Sarita Shrivastava "Shri"

24-Apr-2024 10:59 PM

👌👌

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