मुसाफिर

मुसाफिर


आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद

यति - 13,11

पदाँत - गुरु लघु अनिवार्य

परिचय - चार चरण, 48 मात्रा


इक रास्ता है जिंदगी, सफर करें सब लोग।

बने मुसाफिर राह में, जीवन इक संजोग।।


नदिया ये संसार है, प्रभु हैं तारणहार।

कर्म हमारे नाव से, पुण्य बनी पतवार।।


कर्मों के इस खेत में, दुख - सुख काटें लोग।

जिसके जैसे कर्म हैं, रहा वही फल भोग।।


माया - माया जन्म में, करते सब इंसान।

माया ये ठगनी बड़ी, हरे धर्म - ईमान।।


तेरा - मेरा कुछ नहीं, सब ईश्वर का दान।

जान सको तो जान लो, तज के झूठा मान।।


जब तक तन में जान है, करलो ऐसे काम।

जीते जी सब प्यार दें, जाने पर सम्मान।।


आभार - नवीन पहल - २५.०४.२०२४🙏🏻🙏🏻

दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 

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5 Comments

Varsha_Upadhyay

27-Apr-2024 11:00 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

27-Apr-2024 12:02 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Abhinav ji

26-Apr-2024 08:38 AM

Very nice

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