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लेखनी कहानी -27-Apr-2024

गुरबत(ग़रीबी )

ज़माने में कितना रुलाती है गुरबत लोगों को हर पल सताती है गुरबत ठोकर पे ठोकर खिलाती है गुरबत अपनों को बेगाना बनाती है गुरबत ये गुरबत इज्जत से जीती कभी थी ये गुरबत मोहब्बत को सीती कभी थी ये गुरबत गैरत, हया वाली थी ये गुरबत ईमां, वफ़ा वाली थी मगर आज गुरबत ने बदले है रंग बुराईयों के इस पर लगे हैं जंग लाखों ऐबों को ये पालती है अब मिलती हैं गुनाहों की इससे जड़ें सब

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2 Comments

Gunjan Kamal

30-Apr-2024 08:15 AM

बहुत खूब

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Varsha_Upadhyay

27-Apr-2024 11:20 PM

Nice

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