Tabassum

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भूल



भूले तो जैसे रब्त कोई दर्मियां न था
इतने बदल भी सकते हो तुम , ये गुमां न था

इस अंजुमन से उठ के भी हम अंजुमन में थे
खलवत वो कौन-सी थी तमाशा जहां न था

तुम क्या बदल गए कि जमाना बदल गया
तुम सर-गिरां न थे तो कोई सर-गिरां न था

हम और शिकवा संजीए अहले जफा कि दिल
कमबख्त बेमजा था अगर खूं-चकां न था

' ताबां ' खुलूस अहले-हरम में भी था मगर
उस अंजुमन में अपना कोई राजदां न था!!

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2 Comments

Gunjan Kamal

30-Apr-2024 08:16 AM

बहुत खूब

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Varsha_Upadhyay

27-Apr-2024 10:46 PM

Nice

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