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लेखनी प्रतियोगिता -29-Apr-2024

शीर्षक:- आदमी और समाज


        आज सुबह से ही गाँव के पंचायती चबूतरे पर औरतौ व आदमियौ की भीड़ जमा होती जारही थी। आसपास  के गाँव से भी लोग आरहे थे क्यौकि आज की पंचायत  कुछ ऐसी ही थी जिसमें हरेक  शामिल होना चाहता था।

       लगभग एक साल  पहले पास के शहर से आकर एक वैश्या ने  इस गाँव में एक मकान खरीद लिया और वह उसमें रहने लगी। वैश्या के पास गाँव  के नौजवान युवक एवं अन्य लोग आने जाने लगे। जब इसकी खबर गाँव  की औरतौ को लगी तब उन्हौने यह शिकायत  गाँव के सरपंच  से की।

        सरपंच  की तहकीकात  में पाया गया कि यह घटना सही है और गाँव के नौजवान रास्ते से भटकते जारहे हैं। इसकी पूछताछ  के लिए  आज वैश्या को पंचायत  में बुलाया गया था। वैश्या का नाम चम्पा था गाँव के लोग उसे चम्पावाई कहते थे।

     जब सरपंच  पंच एवं चम्पावाई के आजाने के बाद पंचायत  की कार्यवाही आरम्भ  करने का आदेश हुआ ।

    सरपंच  ने चम्पावाई से पूछा," चम्पावाई  तुम शहर छोड़कर  गाँव  क्यौ आई  हो। तुम्हें अविलंब  गाँव छोड़कर  शहर जाना होगा।"

     "मेंने क्या अपराध  किया है? जिसके कारण  मुझे गाँव  छोड़कर  शहर भेजने का आदेश दिया जारहा है।" चम्पावाई  ने पूछा।

    चम्पावाई! तुम्हारे गाँव  में रहने से गाँव  का माहौल खराब  होता जारहा है ,गाँव  के नौजवान तुम्हारे पास जारहे है। गाँव की औरतौ की शिकायत  आई  है कि आजकल उनके पति ज्यादातर  तुम्हारी चौखट  पर ही रहते हैं। इससे समाजणमें बुरा असर पड़रहा है"

    "  सरपंच  जी मैं किसी भी मर्द  को बुलाने नहीं जाती हूँ। जिसको सकून मिलता है वह मेरे पास चला आता है। मैने आजतक  किसी भी मर्द को नहीं बुलाया है। फिर भी आप मुझे दोषी ठहरा रहे हैं। मेरा औरतौ को सुझाव  है कि मुझे दोषी ठहराने से पहले अपने मर्दौ व नौजवानौ को सम्भालें।", चम्पावाई  ने अपना तर्क प्रस्तुत  किया।

    " चम्पावाई !  तुम्हें शहर छोड़कर  गाँव  में नहीं आना चाहिए  था।वैसे भी तुम्हारे शहर ही अनुकूल  था। तुम यहाँ क्या सोचकर  आई ?" , सरपंच  ने पूछा।

    " सरपंच  जी शायद आपको मालूम  नहीं है कि यह गाँव  मेरी जन्मभूमि है?" चम्पावाई  बोली।

   चम्पावाई  की यह बात  सुनकर  वहा उपस्थित  सरपंच  सहित  सभी लोगौ ने आश्चर्य  से चकित  होकर अपने  दांतौ तले उंगली दबाली।

       " चम्पावाई! तुम्हारा जन्म  इस गाँव में यह कैसे संभव  है?" , सरपंच  ने पूछा।

    " इसी गाँव  में रामबाबू रहते थे वह एक गरीब  थे। मैं उनकी बेटी हूँ। मेरी माँ का निधन मेरे बचपन  में ही होगया था। मेरा पालन-पोषण  मेरे पिताजी कर रहे थे जब मैं बारह तेरह वर्ष  की थी मेरे पिता का भी निधन हो गया। इसके बाद  मैं अकेली रहगई। इसी गाँव  के एक आदमी ने मेरा अपहरण  कर लिया और वह मेरे साथ  जबरदस्ती सम्बन्ध  बनाता रहा जब उसका मन भर गया तब उसने मुझे कोठे पर बेच दिया। मैं रोती बिलखती रही लेकिन आपका समाज कुछ नहीं कर सका।मैं रानी से चम्पावाई  बन गई। तब आप कहाँ थे? आपने कभी यह भी सोचा कि वह गरीब  की बेटी अचानक  कहाँ गायब होगई? क्या आप में से किसी एक ने भी पुलिस  को रिपोर्ट  करवाने की कोशिश  की थी?  नहीं ! क्यौकि आपको उससे क्या मतलब  था ? आपके लिए तो वह किसी के साथ मुंह काला करके भाग गई थी ?

    आज आप कौनसे समाज  को खराब  होने की दुहाई  देकर मुझे गाँव  छोड़कर  जाने के लिए  पंचायत  कर रहे हो। मैं इसी गाँव में रहूँगी।", चम्पावाई  ने अपनी बात  बहुत ही द्रढता  से कही।

       चम्पावाई  की कहानी सुनकर  सरपंच  साहब कुछ नही बोल सके।वह निरुत्तर  होगए।  क्यौकि रानी से चम्पावाई  तक का सफर करवाने में हमारे आदमी और समाज  का ही हाथ  था। पूरा गाँव  ही किसीन किसी रूप में उसमें शामिल  था। सरपंच ने बिना किसी फैसले के ही पंचायत समाप्त  करदी। गाँव के सभी लोग अनेक तरह की बातें करते हुए अपने अपने घर चले गए। 

आज  की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु।
नरेश  शर्मा " पचौरी "


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2 Comments

Mohammed urooj khan

03-May-2024 01:13 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

01-May-2024 07:30 AM

Amazing

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