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राही

वो आया था मेरी जिंदगी में सूर्य का प्रकाश बनकर।

वो थोड़े दिन रहा मेरे साथ सूर्य की "किरण" बनकर।
मैं भी खुश हो गई, उसके जैसा सच्चा प्यार पाकर। 
 फिर वो अचानक मुझे छोड़ कर चला गया जिंदगी की डगर पर अकेला छोड़कर।
उसके जाने के बाद हमेशा उसकी यादें रही मेरे साथ अंधेरा बनकर।
वो हमेशा मुझे याद रहेगा एक बुरा राही बनकर।
प्रतियोगिता हेतु
संजना पोरवाल 

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2 Comments

Gunjan Kamal

30-Apr-2024 07:58 AM

बहुत खूब

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जी बेहतरीन प्रस्तुति।

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