परिवार
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जीवन की बहती नदिया की धार में,,,
सुख शान्ति नही अब नही किसी परिवार में।
लोगों को जाने क्या हो गया है,,,
खुद को जानते नही,,
फिर भी लगे रहते हैं दुसरे की खोजगार में,,,
बहू करे सेवा फिर भी घर घर करे बुराई
सास अच्छी मिल जाये तो बहू कराये चाकरी,,,,,
कहीं बाप दो रोटी को रोए
तो कहीं बेटा कर रहा पार्टी,,,
कहीं संतान बिगड़ रहे
तो कहीं माँ मनाए किट्टी पार्टी,,,,
संस्कार खो रहे
अपने बिछड़ रहे।
ना भरोसा ना विश्वास रहा,,,
ना कोई रिश्ता अब खास रहा,,,
अकेला इन्सान खुश मिजाज रहा
हम दो हमारे दो को परिवार कह रहा।
परिवार तो सुख दुख का साथी होता है,
एक रोये तो दुजा उदास होता है।
सच्चा परिवार वो होता है,,,
जो बिना कहे हर दर्द समझता है।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Ankit Raj
28-Oct-2021 04:26 PM
वाह सुंदर 👌👌👌
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ऋषभ दिव्येन्द्र
26-Oct-2021 01:46 PM
खूब लिखा आपने 👌👌
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Sangeeta
26-Oct-2021 08:51 AM
सुंदर बाग खुशी जी 👏👏🌹
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