Sadhana Shahi

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रोशन जीवन ( कविता)-01-May-2024

रोशन जीवन ( कविता)

दुनिया में शान से जीना है, लौ बनकर जलना ज़रूरी है। घर को यदि रोशन करना है, श्रम शौक है, ना मज़बूरी है।

श्रम करना ही जब है हमको, तब क्यों मज़बूरी मान करें। उल्लास सहित श्रम को कर लें, जीवन खुशियों की खान करें।

मैं चक्की के दो पाटों सा, दिन-रात पीसूॅं पर नहीं घीसूॅं। नित नवीन मैं कर्म करूॅं, कभी निज नयनों में नहीं टीसूॅं।

दो ,चार दिवस ऐसे भी हों, जिस दिन जीवन खुलकर जीऊंँ। मैं खूब हॅंसू, दिल से चहकूॅं , जीवन का गरल मैं ना पीयूॅं।

गंगाजल सा मै पावन हूॅं, मधुमास सा मै मनभावन हूॅं। दिल को जब ठेस पहुॅंचता है, तब मैं भादो और सावन हूॅं।

सुखी जीवन यदि जीना है, खुशी के संग ही फिरना है। व्यर्थ विचारों पर बंदिश रखो , सकारात्मक चिंतन को धरना है।

चहुँमुखी विकास को बोओगे, शुभ एहसास ना खोओगे। प्रकृति के कण-कण से, मधुमास हेतु ना रोओगे।

साधना शाही, वाराणसी

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1 Comments

Babita patel

02-May-2024 07:27 AM

Amazing

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