Lekhny Story -02-May-2024
रोज शाम ढले जब घर जाता हूँ नन्ही सी बेटी को सोता पाता हूँ सुनती हो,कब नींद में खोई है ये कुछ खाया या भूखी सोई है ये
इतना सा सुनते ही पत्नी रो देती है गरीबों की दौलत आँसू खो देती है
कल की सूखी रोटी इससे खायी ना गयी मैंने पानी में भी भिगोई पर चबाई ना गयी
पत्नी को सीने से लगाकर ढाढ़स बंधाता हूँ अच्छा रुको,ध्यान रखना मैं अभी आता हूँ
फिर निकल पड़ता हूँ रोटी कमाने के लिए अपनी किस्मत सड़क पे आजमाने के लिए
अरे हरामखोर,दिखता नहीं क्या,बिल्कुल अंधा है आँख मीचकर चलना तुम जैसे लोगों का धंधा है
गर्दन झुकाता हूँ, हाथ जोड़ता हूँ, बड़े नाज उठाता हूँ अरे लोगों मैं भिखारी नहीं,बैट्री की रिक्शा चलाता हूँ
पन्द्रह रुपये सवारी को मैं दस में बैठा लेता हूँ सोचता हूँ काम ज्यादा हो गाड़ी भगा लेता हूँ
कई बार सवारी दिख जाती है सड़क किनारे दिल कहता है अरे सवारी भगा भगा भगा रे
पेट की आग,पत्नी का त्याग,बेटी की भूख नजर आती है दो रुपये के लालच में ध्यान नहीं रहता गाड़ी लग जाती है
रिक्शा का किराया साँझ तलक पूरा करना पड़ता है अपने खातिर नहीं, पर भाड़े के लिए मरना पड़ता है
तीन सौ पचास रुपये हर दिन रिक्शा किराया चुकाता हूँ अरे लोगों मैं भिखारी नहीं, बैट्री वाली रिक्शा चलाता हूँ
मैं मानता हूँ हम लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं दो सवारी दिखते ही गाड़ी बहुत तेज भगाते हैं
क्या करूँ साहब परिवार चलाने के लिए ऐसा करना पड़ता है रोड पर बड़ी गाड़ी की गलती पर भी हर्जाना भरना पड़ता है
ये कुछ बातें हकीकत है हम रिक्शा चलाने वालों की सच बताता हूँ अरे साहब,अरे बाबू,ओ सचिन, मैं भिखारी नहीं,मैं बैट्री रिक्शा चलाता हूँ मैं भिखारी नहीं,मैं बैट्री रिक्शा चलाता हूँ
© सचिन गोयल गन्नौर शहर,सोनीपत, हरियाणा Insta@,, Burning_tears_797
Mohammed urooj khan
03-May-2024 01:34 PM
👌🏾👌🏾
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Shahana Parveen
02-May-2024 11:00 PM
हृदय स्पर्शी रचना ...👌👌
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Babita patel
02-May-2024 09:13 AM
Aaap hindi pr likha kre.
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