दोहे-पैसा
पैसा-पैसा मत जपो, खन-खन मद का मीत।
दौलत सुखद फ़रेब है, रिश्ते जाएं रीत।।
पैसा-पैसा मत जपो, पैसा संग न जाय।
कर्मों का धन जोड़ ले, जो तेरे गुण गाय।।
दोनों हाथ समेटता, दमड़ी संग न जाय।
देह यहीं पर खाक हो, परिजन मौज मनाय।।
जोड़ लिया धन कपट से, पीढ़ी बैठकर खाय।
पाप कर्म तेरे हिस्से, कोई साथ न आय।।
आया तू इस जगत में, सब हर्षित तू रोय।
करनी ऐसी कर चले, विदा करे जग रोय।
बांधे मुट्ठी जन्म लिया, हाथ पसारे जाय।
करनी अंतिम संगिनी, धन-दौलत रह जाय।।
माटी से पैदा हुआ, माटी में मिल जाय।
माटी पर मत गर्व करे, छार-छार हो जाय।।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Mohammed urooj khan
04-May-2024 12:20 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
03-May-2024 11:10 PM
Nice
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Babita patel
03-May-2024 09:45 AM
Beautiful
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