बाबुल
💐बाबुल🌹
सभी बाबुल को सम
नए बनाने रिश्ते बाबुल,
क्यों सारे नाते तोड़ जाऊँ मैं।
साजन के घर जा के बाबुल ,
क्यों तुमको भूल जाऊँ मैं ।।
तेरी गलियों की मिट्टी से मैं,
सपनों के महल बनाती थी।
दूजे के घर जा के बाबुल,
वो सपना क्यों तोड़ जाऊँ मैं।
नए बनाने रिश्ते बाबुल,
क्यों सारे नाते तोड़ जाऊँ मैं।।
चह-चह चहकूँ तेरे आँगन,
जब चाहे सोर मचाऊँ मैं।
जब कोई जीद पूरी ना हो,
तो हट करके बैठ जाऊँ मैं।।
भाई-बहनों की लड़ाई में कैसे,
रूठ के आँसू बहाती थी।
माँ मेरी गोदी में लेके मुझे
चुपके से सहलाती थी।।
उन लम्हों की परछाई को,
किस छाँव से ढक कर जाऊँ मैं।
नए बनाने रिश्ते बाबुल क्यों,
सारे नाते तोड़ जाऊँ मैं।।
कुछ लम्हें भी ना दिखूँ तो,
हैरानी सी छाँ जाती थी।
बेटी मेरी कहाँ है कहके,
पूरी गाँव में सोर मचाती थी।।
माँ की ममता प्रीत दुलार,
कँहा से ढूंढ के लाऊँ मै।
नए बनाने रिश्ते बाबुल क्यों,
सारे नाते तोड़ जाऊँ मैं।।
"माही"