दोहे(स्वच्छता)
दोहे(स्वच्छता)
आओ मिलकर अब सभी,रखें स्वच्छता-ध्यान।
सकल रोग का बस यही, होता एक निदान।।
स्वच्छ सोच मन स्वच्छ से,सध जाते सब काम।
स्वच्छ वायु जल स्वच्छ से,बने धरा सुख-धाम।।
स्वस्थ रहें तन-मन सदा,यदि हो शुचि परिवेश।
देता शुचि वातावरण, जन-हितकर - संदेश।।
खग-मृग-मानव हों मुदित,पीकर निर्मल नीर।
कोयल के मधु बैन भी, हरे भीतरी पीर।।
शरद-ग्रीष्म-वर्षा सभी, आकर दें आशीष।
करें नमन ऋतुराज का,सज्जन-संत-मनीष।।
साफ़-सफ़ाई मिल करें, रोकें वृक्ष - कटान।
सदा सुखी जीवन करे, हरियाली-अभियान।।
बस्ती-कुनबा-गाँव-घर,नगर-डगर-कल्याण।
करे स्वच्छता मात्र ही, बनकर रक्षक प्राण।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372