मांँ से दुनिया ( कविता )12-May-2024
माँ से दुनिया प्रतियोगिता हेतु
रोज के जैसा दिवस न आज का , यह है बड़ा ही प्यारा। विश्व मनाता आज मदर्स डे, यह है हर पर्वों से न्यारा ।
माॅं के क़र्ज़ से उऋण होना, दुष्कर ना,यह तो है नामुमकिन। विकसित,विकासशील देश हो कोई, या हो पूरब ,पश्चिम, उत्तर ,दक्षिण।
धरती पर हम आज खड़े हैं, अपनी-अपनी माॅं के कारण। विपदा में जब हम पड़ते हैं, माॅं ही खोजें तुरंत निवारण।
मैं ख़ुश हूॅं तो वह ख़ुश होतीं, दुख में हैं मुरझा जातीं। फिर बच्चे क्यों बड़े हुए तो , ना भेजें हैं माॅं को पाती ।
उनका जीवन तभी आनंदित, जब बच्चा है मुस्काता। ऊँचे पद पर जब वह पहुॅंचे, क्यों माॅं को विस्मृत कर जाता।
शाश्वत सत्य यही जग में है, माँ- बच्चे का रिश्ता अनमोल। फिर क्यों बच्चा बड़ा हुआ तो, बोले माॅं से विषधर सा बोल।
अविभाज्य है माॅं से रिश्ता, यह बात सकल जग जाने । मानव की बिसात ही क्या है, नारायण भी महिमा बखाने।
पकड़ के अंगुली माॅं ने ही, हमको चलना सिखलाया। फिर क्यों बच्चों हमें बताओ, उनको वृद्धाश्रम पहुॅंचाया।
दिन और रात चौबीसों घंटे, मदद को रहती हाज़िर, फिर क्यों वह माॅं बोझ हो गई, बतलाओ मुझको काफ़िर।
अपने बच्चों की खातिर माॅं, हर विलास को त्यागे। फिर क्यों बोलो वही लाल, क्यों माॅं की खुशियाॅं ले भागे।
चेहरे पर पड़ गईं झुर्रियाॅं, झड़ गए उसके सारे दाॅंत। माॅं बच्चों का स्नेह चाहती, चाहे बस अब उनका साथ ।
उनके साथ जो हॅंस बोल लें, मन उनका शांत हो जाता। भौतिक सुख- सुविधा की लालसा , ना उनको है रह जाता।
बच्चों का बस साथ चाहिए, ना कोई है दूजा विकल्प। इसमें उनकी दुनिया समाई , यह ही है उनके लिये स्वल्प ।
माॅं सम महती ना कोई दूजा, जान- समझ लो लाल। माॅं घर में यदि नहीं रही तो, सब हो जाएगा बेहाल ।
चोट लगे जब हमें कभी, मुॅंह से माॅं ही निकलता। माॅं चाहे वहाॅं हो अनुपस्थित, उसका दिल है दहलता।
सुख -दुख में सदा संग वो होती, सिर पर रहता हाथ। मन तो एक सुरक्षा कवच है ना भय का होगा एहसास।
माॅं बिन जग निर्माण असंभव, सफ़ल न होवे कोई। बच्चों याद सदा तुम रखना, माॅं यदि टूट के रोई ।
आज मना लो मदर्स डे, पर कल तुम भूल न जाना। केक ,टॉफी ,उपहार से बस, उसको ना प्यार जताना।
साधना शाही,वाराणसी
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 04:46 PM
👏🏻👌🏻
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Varsha_Upadhyay
14-May-2024 12:37 AM
Nice
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