Sarfaraz

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नग़मा

🌹🌹🌹नग़मा 🌹🌹🌹

किस क़दर ख़ूबसूरत हो तुम।
जाने जां रश्के जन्नत हो तुम।

तुम से दिल मेरा भरता नहीं।
बिन तुम्हारे ये लगता नहीं।
क्यों न देखूं तुम्हें हर घड़ी।
मेरी आंखों की राह़त हो तुम।
किस क़दर ख़ूबसूरत हो तुम।

मेरा कहना कहां यह सुने।
दिल तुम्हारे ही सपने बुने।
बिन तुम्हारे न जी पाऊंगा।
ज़िन्दगी की ज़रूरत हो तुम।
किस क़दर ख़ूबसूरत हो तुम।

चांद तकता है शब भर तुम्हें।
ख़ौफ़ लगता है उससे हमें।
छल न जाए तुम्हें यह कहीं।
भोली भाली सी मूरत हो तुम।
किस क़दर ख़ूबसूरत हो तुम।

किस क़दर ख़ूबसूरत हो तुम।
जाने जां रश्के जन्नत हो तुम।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ उ0प्र0।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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4 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 04:38 PM

👏🏻👌🏻

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Varsha_Upadhyay

14-May-2024 12:32 AM

Nice

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kashish

13-May-2024 01:52 PM

V nice

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