मातृत्व
मातृत्व
मां ममता की सागर है,
सब रतनन में आगर है ।
चांद सितारे जैसी मां ,
जग उजियारे ऐसी मां ।
दुख संतान न आने दे ,
स्वयं कष्टों को सहने दे ।
सुत भोजन खुद भूखी रहे,
आनंद बांटे दुख सहे ।
खुद खतरे में संतति दे,
पालन पोषण सुख भरदे।
मां को न समझें अनजान,
जीवन भर न पाता ग्यान।
स्वरचित व मौलिक
डा आर बी पटेल "अनजान"
शिक्षक व साहित्यकार
रेडियो, दूरदर्शन गीतकार
बजरंग नगर कालोनी छतरपुर
म प्र
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 04:22 PM
👌🏻👏🏻
Reply
सीताराम साहू 'निर्मल'
29-May-2024 06:05 PM
सुंदर
Reply
Mohammed urooj khan
14-May-2024 11:11 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply