कलम की ताकत
कलम की ताकत का कोई पैरामीटर नहीं है क्योंकि यह कोई भौतिक ताकत नहीं होती। वह भावात्मक, सृजनात्मक ताकत होती है जो लोगों को धीरे धीरे जगाती है और लोग अपनी ताकत को समझते हैं और उसका प्रयोग करते हैं
देश की खातिर में खुद सदा जागा करता हूं ,
दूर हो मेरे देश के दुख यही सोच भागा करता हूं,
एक दिन मिटा देगी मेरी कलम देश के गद्दारों को,
इसी लिए तलवार नहीं , शब्दों के गोले ताका करता हूं ।
सच का सम्मान करके सदेह सबको जताया करता हूं,
हर रोज भरे बाज़ार में जूठ का पर्दा उठाया करता हूं ,
है इतनी ताकत की बदल दू मेरे देश के संविधान को,
और आप कहते है में इतना गुरूर क्यों दिखाया करता हूं?
ये जो शब्द शब्द में देशभक्ति की चेतना घोल रहा है,
गड़े हुए नापाक इरादों को सरेआम खोल रहा है ,
बंदूक की नोंक पर डराने वाले अछूतो को टिटोल रहा है,
ये कोई तलवार या इंसान नहीं खुदबखुद मेरे कलम का ज्ञान बोल रहा है ।
तलवार तो चल पड़ती है अपनी धार उठा कर , उसे कहा कुछ समजना होता है,
लेकिन मेरी इस कलम को तो हर एक मोड़ पर संविधान का ध्यान रखना पड़ता है,
वक्त है अभी भी संभलनेका तो संभल जाओ मेरे देश के हिंशकवादियो ,
क्युकी एक ना एक दिन घोड़े से लेके जुबान तक को भी लगाम देना पड़ता है ।
यह कलम से मनोरंजन भी होता है तो कभी तूफान भी आ जाता है ,
दबी हुई आवाज़ उठा कर निसहाय का सहारा बन जाता है ,
ये कलम अंधकार को मिटा कर प्रकाश उजागर करना चाहता है ,
हथियार मेरा है भले ही छोटा सा , लेकिन घाव गहरे कर जाता है ।
Mohammed urooj khan
15-May-2024 11:35 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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kashish
15-May-2024 08:21 PM
Very nice
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Gunjan Kamal
15-May-2024 12:42 AM
👏🏻👌🏻
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