प्यार ना करते
जो हश्र मालूम होता इश्क़ का,तेरी कसम हम प्यार ना करते
उल्फत का सिला ऐसा मिलेगा,होता पता तो ऐतबार ना करते
चाहते उसको दिल ही दिल में,चाहत का हम इकरार ना करते
तड़प जिया की हम सह लेते,पर उनसे यूं इज़हार ना करते
रो लेते हम तनहाई में, दिल को फिर बेकरार ना करते
सबसे छुपाकर रखते दिल को,महफ़िल में इकरार ना करते
तुमको खलेगा यूं रूठना मेरा,होता इल्म तकरार ना करते
तोड़ोगे दिल होता पता,जाहिर तुमसे असरार ना करते
सह नहीं पाएगी ये बेरुखी ' अंशु ',होता पता तो इंतजार ना करते
पहले दिन ही हो जाते अलग,चाहत का तुमसे इसरार ना करते
SAGAR BABAR
29-Mar-2021 06:37 PM
बहुत अच्छी शायरी है
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Dr. Vashisth
31-Mar-2021 10:01 AM
Thank you
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