Tabassum

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बंधन



तेरी ख्वाईशों के लिए मुझे दूर जाना पड़ेगा, 
मैने जो देखा है ख़्वाब वो मिटाना पड़ेगा... 

मिलता नहीं अब तुम्हें वक्त रहबर के लिए, 
पर तेरे इंतजार में आँखों को बिछाना पड़ेगा... 

तुम बदल गए या प्यार का मौसम बदल गया, 
पर वफा का रस्म निभाना पड़ेगा.... 

 हमारे हाथों में नहीं है तेरे नाम की लकीरें, 
पर तक़दीरो से तुम्हें चुराना पड़ेगा... 

तुम हो उगता सूरज और मैं ढलती शाम, 
कभी तो तुमसे बिछड़ के जाना पड़ेगा.... 

 चंद फूल खिले जो मुहब्बत के, 
उन्हें वफा के मजार पर चढ़ाना पड़ेगा.... 

फासला हर मिट जायेगा, 
रूह को रूह से मिलने आना पड़ेगा.... 

जिंदगी तो बेवफा हैं, मौत ही सच हैं,
इस बंधन को छोड़ कर एक दिन जाना पड़ेगा!!

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