चाय☕
चाय☕
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चाय बुरी सेहत के लिए,
फिर भी पीते हैं सब यार।
चाय बिना सूनी है महफिल,
और तबियत बेजार।।
सुबह उठे तो अच्छी लगती,
तुरत चाय की प्याली,
और मिले न चाय अगर तो,
भावे ना घरवाली,
चाय संग दो बिस्किट होवे,
साथ रहे अखबार।
चाय बिना सूनी है महफिल,
और तबियत बेजार।।
बिछड़े दोस्त मिले बरसों में,
धौल जमा ये कहते,
उसी पुरानी गुमठी में चल,
किस्से जहां थे बहके,
होगी बातें नई पुरानी,
डाले तड़का और बघार।
चाय बिना सूनी है महफिल,
और तबियत बेजार।।
बादल बरसे, बिजली तड़के,
चले सर्द पुरवाई,
भजिया और मंगोड़ी खाने,
मन ने ली अंगड़ाई,
चाय बनाओ भजिया खाओ,
चटनी संग चटकार।
चाय बिना सूनी है महफिल,
और तबियत बेजार।।
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विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक
hema mohril
23-May-2024 10:51 AM
Amazing
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Gunjan Kamal
22-May-2024 08:26 PM
बहुत खूब
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