बाबुल की दुआएंँ लेती जा (कहानी) प्रतियोगिता हेतु 22-May-2024
बाबुल की दुआएंँ लेती जा (कहानी) प्रतियोगिता हेतु
शीला अपने पिताजी की लाडली बेटी थी। उसे उसके पापा ने बड़े ही लाड़- प्यार से पाला था। यदि हम कहें कि शीला दुनिया की जिस वस्तु पर हाथ रख दे वह वस्तु उसकी तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। समय के साथ-साथ शीला बड़ी होती गई उसके पिताजी को उसकी शादी की चिंता सताने लगी।
बहुत ही खोज-बीन,जांँच- पड़ताल करके शीला के पिताजी ने शीला की शादी एक अभियंता लड़के के साथ तय कर दी। शादी का दिन जैसे-जैसे क़रीब आ रहा था वैसे-वैसे शीला की बेताबियांँ बढ़ती जा रही थीं, और वह मुरझाई जा रही थी।
अपनी बेटी को इस प्रकार मुरझाते हुए देखकर उसके पिताजी ने एक दिन उसे बड़े ही प्यार से अपने पास बिठाया और बोला बेटा तुम मेरी बेटी, बेटा, मित्र सब कुछ हो। तुम मेरे बेटी, मेरी जान हो मैं तुम्हारा दान नहीं कर रहा हूंँ बल्कि एक घर से दूसरे घर भेज रहा हूंँ। बेटा मैं तुमसे अपना रिश्ता थोड़ी ख़त्म कर रहा हूँ। हमेशा बात करते रहना, जब जी चाहे हक के साथ यहांँ आ जाना, लेकिन यह सदैव ध्यान रखना कि यहांँ आने में कभी भी जाने- अनजाने उस घर को उपेक्षित नहीं करना।
बेटा,तू उदास मत हो खुशी-खुशी एक घर से दूसरे घर जा। आज तक इस घर में खुशियांँ बिखेर रही थी, अब विदा होने के पश्चात यहांँ के बाद उस घर में खुशियांँ बिखेरना।
बेटा, मैं तुझे इतना ज़रुर कहना चाहूंँगा कि उस घर में जाकर ऐसे रच-बस जाना कि न तो तू उस घर के लिए बेगानी होना न ही वह घर तेरे लिए। बस तू और तेरा दूसरा घर ऐसे हो जाना जैसे मेहंँदी और रंग।बस बेटा अपने बाबुल की यही दुआएँ अपने साथ तो लेती जाना। कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे तेरे बाबुल का मस्तक नीचे हो, अगर परिवार में कभी कोई क्लेश हो तो उसे बड़े ही समझदारी से संँभालना और उस पर मंथन करना मंथन करने के पश्चात जब तुम निष्कर्ष पर पहुंँचना तब आवश्यकता पड़ने पर तुम ख़ुद हार जाना जिसमें परिवार टूटे नहीं। इन्हीं दुआओं के साथ तुझे अपने घर से विदा कर रहा हूँ। हंँसते हुए इस घर से जाए और उस घर को भी ख़ुशहाल बना दे।जा मेरी बेटी अब उस घर की बेटी वहां का घर आंगन खुशियों के फूलों से भर दे।
बाबुल की इन दुआओं को सदैव अपने साथ रखना मेरा मेरी बेटीफ
साधना शाही, वाराणसी
HARSHADA GOSAVI
24-May-2024 07:00 PM
V nice
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Varsha_Upadhyay
23-May-2024 07:36 AM
Nice
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