Tabassum

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विदाई

.. विदाई ....


 समय विदाई का आया 
तो बिटिया पूछे बाबुल से।
एक पल में किया पराया मुझको 
बात समझ में आई न।

बचपन से ले आज तलक ,
घर कभी किसी के भेजा ना।
भेज रहे हैं अजनबियों में,
एक पल के लिए भी सोचा न।

मेरे जिगर का टुकडा है तू,
कहते नही जो थकते थे।
पल में दूर किया खुद से ,
वह जिएगी कैसे सोचा न।

छूट रहा है वह घर आंगन ,
छूट रहीं सारी गलियां।
छूट रहें हम भाई बहन
जिनके संग था बचपन बीता ।

छूट रहा मां का आंचल ,
और छूट रही मां की ममता।
कैसे रहूंगी तेरे बिन माँ, 
यह सोच के दिल मेरा रोता।

जिसके आंख में आंसूं देख,
घर सर पर उठा लेते थे।
आज रो रही है वह बेटी ,
क्यों नही दिखाई देती है।

किया पराया पल में मुझको ,
बात समझ में आई न।
बिटिया पूछ रही बाबुल से,
यह कैसी रिति बनाई है।  

 ❤️

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