Sadhana Shahi

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इबादत ए पत्थर (कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु-24-May-2024

दिनांक- 24,05, 2024 दिवस- शुक्रवार विधा-पद्य शीर्षक-इबादत ए पत्थर स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु

मैले -कुचैले अंतर्मन से, इबादत है नहीं ज़रूरी। सच्चे मन से प्रभु को पूजो, हर इच्छा तेरी होगी पूरी।

जाति-धर्म की मिटा दीवारें, झूठी परस्तिश ना मज़बूरी। उज्जवल मन विचार हों तेरे, उज्जवलता बन जाए धूरी।

मंदिर-मस्जिद फिर ना भटके, क्रिया-कर्म कोई नहीं ज़रूरी। काकर- पाथर नहीं सजाओ, प्रभु से ले लो मंजूरी।

त्याग, तपस्या,धैर्य धरो, ना धरो हिया में छूरी। जर्रा-जर्रा वास प्रभु का, अनुमोदन कर लो भूरी- भूरी।

ऊंँच-नीच में पड़े रहे तो, हो जाओगे तुम बे-नूरी। दुनिया वालों सुनो बताऊँ, ना रखो कोई मन में बतूरी।

सच्ची भक्ति से चमको, ना करना कोई दस्तूरी। मानवता को कभी ना तजना, सत्य,निष्ठा की बनना जूरी।

साधना शाही, वाराणसी

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2 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 02:19 PM

👏🏻👌🏻

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HARSHADA GOSAVI

25-May-2024 08:38 AM

V nice

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