गुमशुदा
गुमशुदा सी जिंदगी,
सिखाए वक्त बंदगी,
बहुत संभाला इसे,
पार कहाँ पाइए??
खुद को सुजाना नहीं,
कभी पहचाना नहीं,
बीत गया वक्त यूँ ही,
चैन कैसे पाइए??
कुदरत विधान है,
सभी जन समान है,
पंच तत्व देह बने,
खाक मिल जाइए!!
जीवन संघर्ष रहे,
तब ही उत्कर्ष बहे,
सबको मिली “श्री” बुद्धि,
कम मत आंकिए!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 02:17 PM
👏🏻👌🏻
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HARSHADA GOSAVI
25-May-2024 08:41 PM
V nice
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Sarita Shrivastava "Shri"
25-May-2024 05:57 PM
👌👌
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