लेखनी कहानी -25-May-2024
शीर्षक – मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..… एक सच हम सभी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग जीवन में हम सभी जानते है। आज हम सभी जानते हैं। उम्र और सोच के साथ-साथ हम सभी अपने अपने स्वार्थ और मतलब रखते हैं। जिंदगी और जीवन में मृत्यु के सच को भी हम सभी पहचानते हैं। आज का सचमुच यही है कि कफन में जेब नहीं होती हैं। अगर कफन में जेब होती तब जीवन में धन संपत्ति और शोहरत वालों की तो जिंदगी एक स्वर्ण भरी होती। काश कफन में भी जेब होती। एक सच तो यही है कि कफन में जेब नहीं होती हैं। सबको मालूम है कि खाली हाथ आना और खाली हाथ ही तो जाना है। जनाब कफ़न में जेब नहीं होती हैं। यही तो एक जिंदगी का सच है और भाग्य और कुदरत के साथ हम सभी का सहयोग मिलता हैं। बस हमारी जिंदगी की राह भी एक बैंक के खाते की तरह है जिसमें केवल कर्मों का हिसाब होता है अच्छे और बुरे कर्मों का सभी हिसाब लिखा होता है हमें अच्छे कर्मों का भी फल मिलता है और हम बुरे कर्मों का भी फल मिलता है। और सच यही हैं कि हम सभी जानते हुए भी अनजान और कुदरत को धोखा देते हैं। कफन में जेब नहीं होती हैं बस हमारे कर्मों का लेखा ही हमारी सभी मनोरथ और संपत्ति होती हैं। सच तो यह है कि हम सभी सोच समझकर जीवन में समय के साथ-साथ हम अपने को भगवान भी समझ लेते हैं। क्योंकि समय की मार और कुदरत के रंग हम सभी को देखने पड़ते हैं। बस हम समझे और सोचे कि हम किसी के साथ धोखा चल फरेब करते हैं। तब भी हमारे कर्म और भाग्य का कुदरत सब देखा बना लेती हैं। हम सभी समझते हैं कि हम कुछ भी चोरी छुपे गलत या अच्छे कर्म या काम करते हैं तब हम अपने जीवन में सभी कर्म के साथ-साथ ही जिंदगी में उतार चढाव देखते हैं। बस यही हमारे जीवन का सच रहता हैं । परन्तु एक सच कफन में जेब नहीं होती हैं। और हम सभी के मन भावों में जो कर्म फल व्यवस्था होती हैं। वह सभी हमें याद आ जाते हैं। बस यही हम सभी के जीवन का सच और सही है। और हम सभी धन संपत्ति अपने पीढ़ियों के लिए एकत्रित करते हैं और न ईमानदारी या बेईमानी से वो हम स्वयं खुद जानते हैं। बस जिंदगी के साथ-साथ कफ़न में जेब नहीं होती हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र