गीत
प्रतियोगिता हेतु रचना
गीत
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लेखनी से कहा तुम गीत लिखो
मैंने कभी गाना गाया हीं नहीं
तो फिर गीत कैसे लिखूँ
तो फिर तुम मीत लिखो
मिलन किसी से हुआ ही नहीं
तो फिर मैं मीत कैसे लिखूँ
तो फिर तुम प्रीत लिखो
प्यार कभी किसी से हुआ ही नहीं
तो फिर प्रीत कैसे लिखूँ
तो फिर तुम संगीत लिखो
संग में किसी ने गीत गाया ही नहीं
तो मैं संगीत कैसे लिखूँ
तो फिर तुम मनमीत लिखो
मेरे मन का मीत मिला ही नहीं
तो फिर मनमीत कैसे लिखूँ
तो फिर तुम कविता लिखो
मैं कवि हूँ ही नहीं
तो फिर कविता कैसे लिखूँ
फिर जो तुम्हारे मन में भाव हों
वही सब लिख डालो
फिर जो माँ शारदे ने
आदेश दिया मैंने लिख डाला
विद्या शंकर अवस्थी पथिक
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 02:08 PM
👏🏻👌🏻
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