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गुठली

दोनों भाइयों को खाना परोस कर अपनी थाली लेकर बैठी रश्मि ने पहला निवाला तोड़ा ही था कि दादी की आवाज कानों में गूँजी, “रश्मि आम काट कर भाइयों को देदे और गुठली तू ले लेना।”

थाली छोड़कर खड़ी हुई रश्मि ने भुनभुनाते हुए आम निकाले, चाकू उठाया और एक रीती थाली लेकर दादी के पास पहुँची, “दादी मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है, दोनों को आम काट कर गुठली भी खिला देना, मुझे नहीं चाहिए आम और गुठली।”
दादी: “छोरी तेरा गुस्सा नाक पर धरा रहता है ये नहीं कि भाइयों के साथ मिल बाँट कर खाले।” 
रश्मि: “इसे मिल बांट कर खाना कहते हैं दादी तो मुझे नहीं खाना। इसे मिल बांट कर आप और आपके पोते ही खा लीजिए।” कहते हुए रश्मि पैर पटकती हुई चली गई। “छोरी तेरे बाप ने बहुत सर चढ़ा लिया है।” दादी पीछे से बड़-बड़ाती रह गई। 
रश्मि ने स्कूल जाने के लिए बस्ता उठाया ही था कि माँ ने एक आम उसके बस्ते में डाल दिया। 

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 

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3 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 02:00 PM

👏🏻👌🏻

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RISHITA

01-Jun-2024 07:39 PM

V nice

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Sarita Shrivastava "Shri"

26-May-2024 11:22 PM

👌👌

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