लेखनी
लेखनी--------
गजल--------
हुकूमत ने जब जब लगाए हैं सख्त पहरे ।।
लेखनी ने उजागर किए हैं बड़े राज गहरे।।
जिन्हें देवता मानकर पूजते चले आ रहे थे
अब खुमारी से उतरने लगे हैं नकली चेहरे।।
लेखनी----------------१
शरीके सियासतदानों से नित नए घोटाले हुए
लेखनी से बेनकाब होकर पहुंचे वो कटघरे।।
लेखनी--------------------२
दुष्कर्मियों, आतंकियों का भी हुआ है पर्दाफाश
फांसी के फंदे पर झूल गए अनेक सिरफिरे।।
लेखनी-------------------------३
*सेवक*सब्र कर नेकनीयत से कर कामकाज
लेखनी की ताकत से गिरधर भी वश में तेरे।।
लेखनी----------------------------४
**रामसेवक गुप्ता**
लेखनी काव्य प्रतियोगिता हेतु।। २६-१०-
Kavita Gautam
28-Oct-2021 02:36 PM
बहुत बढ़िया 👌👌
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ऋषभ दिव्येन्द्र
27-Oct-2021 11:38 AM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌👌👌
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Ramsewak gupta
27-Oct-2021 03:02 PM
Very thankful
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Niraj Pandey
26-Oct-2021 08:44 PM
वाह बेहतरीन
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Ramsewak gupta
27-Oct-2021 03:02 PM
Thanks
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