Sarfaraz

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ग़ज़ल

😂😂**मुफ़्त की दावत**😂😂

दिल  की  हालत न पूछिए साह़िब।
पूरा    पागल    है   देखिए साह़िब।

माल   अपना   हो   या   पराया हो।
हाथ    आए    तो    सूंतिए साह़िब।

इससे   पहले   के  शक  करे  कोई।
सबको    आदाब    ठोकिए साह़िब।

बच    के   जाए  न  टांग   मुर्ग़े  की।
दोनों    हाथों   से   खींचिए साह़िब।

माल   औरों    का , पेट  अपना  है।
आज  यह  भी  न  सोचिए साह़िब।

जम  के   खाने  से  पेट  अफरे  तो।
लाभ     चूरन   से  लीजिए साह़िब।

नाक   बहती  है  बहने  दो  इसको।
ठण्डा - वण्डा   तो  पीजिए साह़िब।

खा  लिया  छकके  जाइए  घर को।
अब    डकारें   न   लीजिए साह़िब।

बीड़ियां   तक   रही   हैं   घण्टों  से।
इनकी  जानिब  भी  देखिए साह़िब।

हो    चुकी    ख़ूब    सैल्फ़ी   बाज़ी।
अब  तो  कुर्सी  को छोड़िए साह़िब।

आ  गए  लड़की - लड़के वाले अब।
तेज़    क़दमों   से   भागिए साह़िब।

बिन    बुलाए    फ़राज़   आए   हो।
थोड़ी  बख़्शिश  तो दीजिए साह़िब।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद।

😂*😂*😂😂😂😂*😂*😂

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2 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 01:39 PM

👏🏻👌🏻

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HARSHADA GOSAVI

28-May-2024 02:46 PM

V nice

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