लावण्य
रूप लावण्य पर स्त्रियों का एकाधिकार है ताकि पुरुष उन पर रीझ सके, फिर भी स्त्री ता-उम्र एक पुरुष की वफ़ादार बनी रहती है..””
लेकिन पुरुष के पास ऐसा कोई अलंकार नहीं जो उसे भटकाव से रोककर एक पत्नीव्रत और परिवार के लिए समर्पित कर सके..!!
स्त्री के पास रूप लावण्य के साथ-साथ वफ़ादारी और समर्पण भी है..””
पुरुष को रूप लावण्य तो चाहिए किन्तु बंधन नहीं, वह वफ़ा और समर्पण न देकर उम्र के ढलान पर भी नए लावण्य की तलाश में रहता है..!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 01:30 PM
👏🏻👌🏻
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Sarita Shrivastava "Shri"
28-May-2024 11:51 PM
👌👌
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