Sarfaraz

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ग़ज़ल

🌹🌹🌹**ग़ज़ल**🌹🌹🌹

ज़रा सी भी राह़त मिले तो चलूं मैं।
ग़म ए दिल से फ़ुर्सत मिले तो चलूं मैं।

कहां ले के जाते हो यह तो बता दो।
वहां मुझ को इ़ज़्ज़त मिले तो चलूं मैं।

यहीं नफ़रतों की कमी कब है यारो।
कहीं पर मुह़ब्बत मिले तो चलूं मैं।

मैं  तैयार  बैठा  हूं  जाने को कब से।
तुम्हारी इजाज़त मिले तो चलूं मैं।

चला तो मैं जाऊं तिरे संग वाइ़ज।
मगर  कुछ  हिदायत मिले तो चलूं मैं।

तिरे साथ जाने से क्या फ़ायदा है।
तिरे    साथ   जन्नत मिले तो चलूं मैं।

न लौटूंगा वापस ‌यक़ीं यह दिला दो।
फ़राज़ उन की क़ुर्बत मिले तो चलूं मैं।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसानवी।

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2 Comments

Gunjan Kamal

03-Jun-2024 01:03 PM

👏🏻👌🏻

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RISHITA

01-Jun-2024 07:15 PM

V nice

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