गुमनाम
कुछ ही लोग हैं दुनिया में,
जो नाम कमाते हैं।
एक बडी संख्या है जिनकी,
गुमनाम कहाते हैं।
कुछ लोग पालना सोने का,
संग लेकर आते हैं,
कर्मठता की सीढ़ी पर कुछ,
खुद खाट बिछाते हैं।
पिता धूप में माँ चूल्हे पर,
दिन-रात झुलसते हैं,
नन्हे-नन्हे पग तगड़े बन,
जीवन भर लड़ते हैं।
मेहनत से किस्मत बनती है,
आलस से मुर्झाए।
कुर्सी शानो-शौकत रुतबा,
बैठा हुकुम चलाए।
कौन पड़ौसी नाम है किसका,
कौन तुम्हें पहचाने।
उम्र बीत गई रहे बगल में,
कोई नाम न जाने।
कब तुमने दरवाजा खोला,
कब भीतर घुस आए।
लाश सूख कंकाल हो गई,
बदबू भेद बताए।
टाटा बिरला बिग बी मोदी,
जग उनका दीवाना,
कौन चाकरी करता इनकी,
किसने “श्री” पहचाना।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 12:59 PM
👏🏻👌🏻
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Aliya khan
02-Jun-2024 01:48 AM
Nice
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RISHITA
01-Jun-2024 10:55 PM
V nice
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